/sootr/media/media_files/2025/11/19/whatsapp-data-leak-issue-2025-11-19-16-50-59.jpg)
Photograph: (the sootr)
WhatsApp, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप है, इन दिनों विवाद में घिरा हुआ है। ऐप के 3.5 बिलियन यानी 350 करोड़ अकाउंट के मोबाइल नंबर लीक हो गए हैं। यह लीक Meta, यानी WhatsApp की पेरेंट कंपनी की लापरवाही की वजह से हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि Meta को इस खामी के बारे में 8 साल पहले पता था। लेकिन मेटा ने समय पर कोई कदम नहीं उठाया।
University of Vienna ने की थी खामी उजागर
WhatsApp के मोबाइल नंबर लीक होने का कारण एक सुरक्षा खामी है, जिसे Meta ने समय रहते ठीक नहीं की। साल 2017 में, University of Vienna के रिसर्चर्स ने Meta को इस खामी के बारे में चेताया था। लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे यह खामी आज भी बनी रही। रिसर्चर्स ने इस कमी को लेकर आधे घंटे में ही अमेरिका के 3 करोड़ से ज्यादा WhatsApp नंबर हैक करके बताए थे। लेकिन Meta ने इस कमी को दूर नहीं किया, इसका खामियाजा उपयोगकर्ता उठा रहा है।
यह खबरें भी पढ़ें...
एमपी की वंदना ठाकुर ने वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग में जीता गोल्ड, सीएम मोहन यादव ने दी बधाई
मसूरी में होगी एमपी के आईएएस अफसरों की ट्रेनिंग, SIR के चलते एमपी के 39 कलेक्टरों पर फंसा पेंच
WhatsApp डेटा लीक और मेटा की लापरवाही को ऐसे समझें
WhatsApp का डेटा लीक: WhatsApp के 3.5 बिलियन यूजर्स के मोबाइल नंबर लीक हो गए हैं, जिससे हर यूजर का नंबर ऑनलाइन उपलब्ध हो गया है। Meta की लापरवाही: इस लीक के पीछे Meta की लापरवाही है, जो इस खामी को 8 साल पहले पहचान चुकी थी, लेकिन इसे सुधारा नहीं। 2017 में चेतावनी: 2017 में University of Vienna के रिसर्चर्स ने Meta को इस खामी के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन कंपनी ने ध्यान नहीं दिया। साइबर हैकर्स का खतरा: एक्सपर्ट्स की चिंता है कि अगर साइबर हैकर्स को इस खामी का पता चलता है, तो यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक हो सकता है। Bug Bounty Program का बचाव: Meta अब इस लीक को Bug Bounty Program के तहत कवर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन आलोचना बनी हुई है। |
Bug Bounty Program का बहाना
अब, Meta इस लीक को लेकर अपने बचाव में Bug Bounty program का हवाला दे रही है। यह एक कार्यक्रम है, जिसमें कंपनियां अपने सिस्टम में मौजूद खामियों को सुधारने के लिए साइबर एक्सपर्ट्स को इनाम देती हैं। लेकिन यह बात कुछ हजम नहीं हो रही है। क्योंकि अगर Meta को 8 साल से इस खामी के बारे में पता था, तो यह सब क्यों होने दिया गया?
साइबर हैकर्स का खतरा
अब सवाल ये है कि अगर साइबर हैकर्स को इस खामी के बारे में जानकारी मिल जाए, तो क्या होगा? साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं। यह खामी या गलती काफी गंभीर है। यदि हैकर्स ने इसका फायदा उठाया, तो यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक बन सकता है।
क्या है ‘Simple’ खामी?
साइबर एक्सपर्ट्स ने इस खामी को "simple" नाम दिया है, जिसका मतलब है कि यह खामी कोई बहुत बड़ी तकनीकी गलती नहीं है। इसे एक साधारण सी भूल बताया जा रहा है। इसे ठीक किया जा सकता था, लेकिन Meta ने इसे समय पर नजरअंदाज किया। इसी गलती के कारण 350 करोड़ लोगों के मोबाइल नंबर इंटरनेट पर लीक हो गए हैं।
हर WhatsApp यूजर को है खतरा
इस लीक का असर सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। WhatsApp का यूजर बेस पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इस खामी का फायदा कोई भी साइबर क्रिमिनल उठा सकता है। यह पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। हर देश का नागरिक, हर उम्र का व्यक्ति इस खतरे से प्रभावित हो सकता है।
यह खबरें भी पढ़ें...
मधुमक्खियां बांग्लादेश बॉर्डर पर कर रही काम, घुसपैठियों पर लगी रोक, बीएसएफ का अनोखा प्रयोग सफल
रायपुर में भारत-दक्षिण अफ्रीका वनडे मैच 3 दिसंबर को : जानें टिकट की कीमत और बिक्री की तारीख!
यूजर डेटा सुरक्षा: अब आगे क्या करना होगा?
इस घटना ने एक बार फिर व्हाट्सएप और Meta की डेटा सुरक्षा नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब कंपनी को जल्द से जल्द इस खामी को दूर करना होगा। यूजर्स को उनकी प्राइवेसी सुनिश्चित करनी होगी। सरकार और नियामक संस्थाओं को भी व्हाट्सएप डेटा लीक जैसे मामलों में कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।
इस तरह की लापरवाही डिजिटल सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। हमें और आपको भी अपने ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहना होगा, क्योंकि अब हमारा निजी डेटा (Personal Data) पहले से ज़्यादा खतरे में है।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us