दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) तेजी से बढ़ता जा रहा है। 9 नवंबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार यानी 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया। शहर के बवाना और मोतीबाग इलाकों में AQI 409 पर रहा, जबकि दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में 300-400 के बीच बना रहा।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने से पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की स्थिती बन गई है। लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है। वहीं अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
फैला वायु प्रदूषण का जाल
दिल्ली के आसपास के शहर गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा भी प्रदूषण के उच्च स्तर पर हैं। 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत के थे। इस अध्ययन के मुताबिक इन शहरों की हवा में खतरनाक कणों का स्तर WHO मानकों से अधिक था।
देश का उत्तरी हिस्सा, खासकर गंगा का मैदानी इलाका प्रदूषण की भारी चपेट में है। यहां तक कि नेपाल और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देश को भी इससे खतरा है क्योंकि पश्चिमी हवाएं यहां की धूल और धुएं को हिमालय ( Himalayas ) तक ले जाती है।
अक्टूबर और नवंबर में क्यों बढ़ता है प्रदूषण
पराली जलाना मुख्य कारण
दिल्ली और आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने से धुएं का स्तर बढ़ जाता है। पश्चिमी हवाएं इसे दिल्ली तक पहुंचाती हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास अभी तक सफल नहीं हो सके हैं।
वाहनों से उत्सर्जन भी बड़ी समस्या
दिल्ली की सड़कों पर हर दिन लगभग 30 लाख गाड़ियां चलती हैं, जिनमें से बड़ी संख्या डीजल वाहनों की है। दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन योजना जैसे कदम उठाए, लेकिन वाहनों की संख्या और डीजल का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है, जिससे प्रदूषण में भी वृद्धि हो रही है।
निर्माण कार्यों से उड़ती धूल
दिल्ली में स्मॉग बढ़ते ही सभी निर्माण कार्यों पर पाबंदी लग जाती है। निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल, जो कई बार केमिकल्स से भी युक्त होती है। इससे स्वास्थ्य समस्या बढ़ती है। वहीं बढ़ती अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी प्रदूषण का योगदान है।
सरकार और अदालतें प्रयासरत, पर समस्याएं जारी
दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक के आदेश दिए हैं। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। इसके बावजूद प्रदूषण पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है।
भोपाल में भी बढ़ा प्रदूषण संकट
मध्य प्रदेश की राजधानी में भी देश की राजधानी जैसी स्थिति बनती नजर आ रही है। भोपाल में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। शनिवार को टीटी नगर का एक्यूआई 317, अरेरा कॉलोनी का 323 और पुराने शहर का 302 रिकॉर्ड हुआ। शहर के चारों ओर खेतों में पराली जलाए जाने से पीएम 2.5 के कण बढ़ गए हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
मप्र कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अनुसार, फसल कटाई के बाद किसान खेतों में पराली जलाते हैं। इसे रोकने के लिए इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जाती है। सैटेलाइट डेटा के अनुसार, 8 नवंबर को मप्र के 21 जिलों में पराली जलाने की 474 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं, जिनमें श्योपुर और होशंगाबाद में सबसे अधिक मामले पाए गए।
भोपाल में भी पराली जलाने की घटनाएं
भोपाल में 4 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं। सर्दियों में तापमान में कमी और हवा के घनत्व बढ़ने के कारण प्रदूषण और खतरनाक गैसें एक साथ मिलकर जहरीले स्मॉग का निर्माण करती हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
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