अमेरिका में नस्ल के आधार पर यूनिवर्सिटी में एडमिशन देने की प्रक्रिया पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

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Pratibha Rana
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अमेरिका में नस्ल के आधार पर यूनिवर्सिटी में एडमिशन देने की प्रक्रिया पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

Washington. अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानी 29 जून को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में विश्वविद्यालयों में नस्ल के आधार प्रवेश देने की प्रथा पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नस्ल को कभी भी रुढ़िवादिता या नकारात्मक के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसे खत्म होना चाहिए। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि ऐसे एडमिशन प्रोग्राम की सख्त जांच होनी चाहिए। यह मामला हार्वर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलिना जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से जुड़ा हुआ है।



हार्वर्ड और नार्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी का एडमिशन प्रोग्राम अमान्य करार 



सुप्रीम कोर्ट ने हार्वर्ड और नार्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले नस्ल के आधार पर एडमिशन प्रोग्राम को अमान्य करार दिया। अदालत ने कहा कि नस्ल के आधार पर एडमिशन प्रोग्राम की सख्त जांच होनी चाहिए। इसे किसी भी हद पर खत्म होना चाहिए। इससे पहले, निचली अदालतों ने नार्थ कैरोलिना और हार्वर्ड दोनों के कार्यक्रमों को बरकरार रखा था और इन दावों को खारिज कर दिया था कि स्कूल श्वेत और एशियाई अमेरिकी आवेदकों के साथ भेदभाव करते हैं।



सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंट्स फार फेयर एडमिशन का लिया पक्ष



नस्ल के आधार पर एडमिशन देने की नीति पहली बार 1960 के दशक में अस्तित्व में आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्टूडेंट्स फार फेयर एडमिशन का पक्ष लिया, जो इसका मुखर आलोचक रहा है। रूढ़िवादी कार्यकर्ता एडवर्ड ब्लम  ने इसका गठन किया था। नार्थ कैरोलिना मामले में वोट 6-3, जबकि हार्वर्ड मामले में 6-2 था।



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डोनाल्ड ट्रंप ने फैसले का किया स्वागत, कहा- यह महान दिन 



अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, यह अमेरिका के लिए महान दिन है। असाधारण क्षमता वाले लोगों और हमारे देश के लिए भविष्य की महानता सहित सफलता के लिए आवश्यक सभी चीजों को आखिरकार पुरस्कृत किया जा रहा है।



हमारे प्रयासों को दोगुना करने का समय आ गया- बराक ओबामा



पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बयान में कहा कि सकारात्मक कार्रवाई नीतियों ने उन्हें और उनकी पत्नी मिशेल सहित छात्रों की पीढ़ियों को यह साबित करने की अनुमति दी थी कि हम उनके हैं। ओबामा ने तर्क दिया कि ये नीतियां यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थीं कि नस्ल या नस्ल की परवाह किए बिना सभी छात्रों को सफल होने का अवसर मिले। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर, अब हमारे प्रयासों को दोगुना करने का समय आ गया है।

 


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