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इंटरनेशनल डेस्क. अल नीनो सक्रिय हो गया है और इसको लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के वैज्ञानिकों ने गुरुवार (8 जून) को कहा कि एक अपेक्षित अल नीनो सक्रिय हो गया है। इसकी वजह से रिकॉर्ड गर्मी पड़ने के साथ कहीं-कहीं भीषण वर्षा के आसार नजर आ रहे हैं। जापान समेत कई देशों में सूखा पड़ने की नौबत भी बन सकती है। इधर, भारत समेत कुछ देशों पर इसका असर कुछ कम रहेगा। बता दें कि अल नीनो का पैटर्न आखिरी बार साल 2018-19 में देखा गया और यह औसतन दो से सात साल में सक्रिय होता है।
कुछ प्रभावों को बढ़ा या कम कर सकता अल नीनो
एनओएए के जलवायु विज्ञानी मिशेल एल हेयुरेक्स ने कहा, अल नीनो की ताकत को देखते हुए कह सकते हैं कि यह कई प्रकार के प्रभाव पैदा कर सकता है, जैसे दुनियाभर के कुछ स्थानों में भारी बारिश और सूखे का खतरा। जलवायु विज्ञानी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन अल नीनो से संबंधित कुछ प्रभावों को बढ़ा या कम कर सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अल नीनो तापमान के नए रिकॉर्ड बना सकता है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो पहले से ही अल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान की मार झेल रहे हैं।
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क्या होता है अल नीनो?
अल नीनो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्री घटनाओं में से एक है। समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर बदलाव होने से दुनियाभर के मौसम पर इसका असर दिखता है। अल नीनो एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से तापमान गर्म होता है। अल नीनो को जलवायु प्रणाली का ही हिस्सा माना जाता है। इसकी वजह से मौसम पर गहरा असर पड़ता है।
ऑस्ट्रेलिया ने जारी किया था चेतावनी बुलेटिन
ऑस्ट्रेलिया ने इस सप्ताह चेतावनी बुलेटिन जारी करते हुए बताया था कि इस साल अल नीनो के विकसित होने की 70 फीसदी संभावना है। साथ ही बताया था कि अल नीनो भीषण आग की चपेट में आने वाले देश को गर्म, शुष्क मौसम देगा, जबकि जापान ने कहा कि एक विकासशील अल नीनो रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वसंत के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार था।