NEW DELHI. मणिपुर में 3 मई के बाद से हिंसा जारी है। बिगड़ते हालात पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, लेकिन इसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शामिल नहीं होने का फैसला किया है। हालांकि, शरद पवार ने एनसीपी की ओर से बैठक में भाग लेने के लिए अपनी पार्टी के दो नेताओं को नामित किया है। उन्होंने कहा कि पहले की प्रतिबद्धताओं के कारण हम इस बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। शरद पवार ने दो दिन पहले ही केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाए थे और सख्त कदम उठाने को कहा था।
दिल्ली में होने वाली बैठक का मकसद
मणिपुर में करीब दो महीनों से जारी हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। पूर्वोत्तर राज्य में झड़पों के बाद से यह पहली सर्वदलीय बैठक दिल्ली में दोपहर 3 बजे होगी। बैठक का उद्देश्य वर्तमान स्थिति और संघर्षग्रस्त राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के तरीकों पर विचार करना है।
मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र पर भड़के थे शरद पवार
मालूम हो, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने 21 जून को मणिपुर हिंसा को रोकने के लिए सत्ता और संसाधनों का उपयोग नहीं करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की थी। मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसको लेकर एनसीपी के 24वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह में शरद पवार ने कहा कि बीजेपी शासित मणिपुर एक बॉर्डर वाला राज्य है और पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय सीमा का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि राज्य में पिछले 45 दिनों से हिंसा जारी है लेकिन सत्ता में बैठे लोगों के पास मौजूदा स्थिति पर विचार करने तक का समय नहीं है और इसका क्या परिणाम हो सकता है?
बीजेपी के नौ विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था पत्र
इससे पहले हिंसा प्रभावित मणिपुर के बीजेपी के नौ विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य के लोगों का नोंगथोम्बम बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर से भरोसा उठ गया है। पत्र पर विधायक करम श्याम सिंह, थोकचोम राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंग सपम, ख्वाइरकपम रघुमणि सिंह, एस ब्रोजेन सिंह, टी रोबिंद्रो सिंह, एस राजेन सिंह, एस केबी देवी और वाई राधेश्याम ने हस्ताक्षर किए थे।