Prayagraj. उत्तरप्रदेश के प्रयागराज की पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में शामिल एक और शूटर को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। जिस शूटर का एनकाउंटर हुआ उसकी पहचान विजय चौधरी उर्फ उस्मान के रूप में हुई है। बकौल पुलिस उस्मान को गले, छाती और जांघ में गोली लगी थी। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। बता दें कि अधिवक्ता उमेश पाल की 24 फरवरी को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दिनदहाड़े हुए इस हमले में उनके दो सिक्योरिटी गार्ड भी मारे गए थे। उमेश पाल साल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। जिसका मुख्य आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद है, जो अभी गुजरात जेल में बंद है।
उमेश पाल की पत्नी ने इस मामले में अतीक अहमद के परिवार समेत 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। प्रयागराज पुलिस ने उमेश पाल पर पहली गोली चलाने वाले विजय को ढूंढकर उसका एनकाउंटर किया है, धूमगंज एसएचओ राजेश कुमार मौर्या ने बताया कि एनकाउंटर के दौरान कांस्टेबल नरेंद्र पाल को हाथ में चोटें लगीं हैं। बदले में की गई कार्रवाई में गोली चलानी पड़ी जो विजय चौधरी के गर्दन, सीने और जांघ में 3 गोलियां लगीं। आरोपी और घायल कांस्टेबल को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन विजय चौधरी ने दम तोड़ दिया, कांस्टेबल का इलाज जारी है।
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इस एनकाउंटर के बाद पुलिस की कार्रवाई पर विजय के परिवार वालों ने सवाल उठाए हैं, उसकी पत्नी ने कहा है कि पुलिस उसे भी मार दे, उसके आगे पीछे अब कोई नहीं है, वह किसके सहारे जिएगी। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब पुलिस के एनकाउंटर पर सवालिया निशान लगे हों। हर बार पुलिस दावा करती है कि गोली आत्मरक्षा में चलाई, हालांकि कई मामलों में एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों पर भी मामले दर्ज हुए हैं।
छत्तीसगढ़ है पहले नंबर पर
बीते साल मार्च में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एनकाउंटर में हुई मौतों के सवाल पर सदन में जानकारी दी थी। उन्होंने 1 अप्रैल 2016 से मार्च 2022 तक के आंकड़े दिए थे। जिसके मुताबिक इन 6 सालों में पुलिस एनकाउंटर में 813 लोगों की मौत हुई है, सबसे ज्यादा 264 एनकाउंटर किलिंग छत्तीसगढ़ में हुई, वहीं यूपी में 121 और बिहार में 25 अपराधी एनकाउंटर में ढेर हुए। राज्यसभा में पेश इन आंकड़ों में यह भी जानकारी दी गई थी कि एनकाउंटर किलिंग के 813 मामलों में से 459 मामले निराकृत हो चुके हैं जबकि 354 में जांच जारी है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिस एनकाउंटर के 107 मामलों में मुआवजा देने का आदेश दिया था, इस दौरान पीड़ितों को 7.16 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया था।