NEW DELHI. केंद्र सरकार ने गुरुवार 10 अगस्त को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त ( Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा बिल पेश किया है। विपक्ष ने इस बिल का जमकर विरोध किया है। इस बिल में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, कार्यप्रणाली के लिए एक व्यवस्था बनाना शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था ?
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।
मनपंसद व्यक्ति को सीईसी बना सकेंगे पीएम: केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। अगर पीएम खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है। केजरीवाल ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनाई थी। मोदीजी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर ऐसी कमेटी बना दी, जो उनके कंट्रोल में होगी। वो अपने मनपसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।
कैसे चुने जाते है अभी चुनाव आयुक्त ?
1.देश में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर अभी कोई कानून नहीं है। वर्तमान में नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया केंद्र सरकार के कंट्रोल में है।
2.अभी जो प्रक्रिया अपनाई जाती है उसके मुताबिक सचिव स्तर की मौजूदा या रिटायर हो चुके अधिकारियों की एक सूची तैयार की जाती है ।
3.तैयार की गई सूची में से तीन नामों की एक पैनल बनाई जाती है। इन तीनों नामों पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति विचार करते है।
4.प्रधानमंत्री जो नाम राष्ट्रपति को भेजते है। उसके साथ एक नोट भी भेजते है जिसमें उस व्यक्ति की चुनने की वजह भी बताई जाती है।
5.चुने जाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र जो भी पहले हो तक होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पैनल में मुख्य न्यायाधिश के होने का फैसला सुनाया था
1.सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे।
2.सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी। जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया सीबीआई डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।
3.सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाई रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और निष्पक्ष तरीके से कानून के दायरे में रहकर निभाए।