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New Delhi. अरूणाचल प्रदेश के मंडला के पास सेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। सुबह करीब सवा नौ बजे सेना के चीता हेलिकॉप्टर ने बोमडिला के पास ऑपरेशनल उड़ान भरी थी, इसके कुछ देर बाद ही हेलिकॉप्टर का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया। कुछ ही देर बाद इस चीता हेलिकॉप्टर के बोमडिला के पश्चिम में मंडला के पास दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आ गई। इस खबर के बाद सेना ने मौके पर सर्चिंग ऑपरेशन चलाया है। इस घटना के बाद वेस्ट कामेंग जिले के एसपी बी.आर.बोमारेड्डी ने अमर उजाला को बताया कि हेलीकॉप्टर हादसे में दोनों पायलट की मौत हो गई है। मारे गए पायलटों की पहचान लेफ्टिनेंट कर्नल वीवीबी रेड्डी और मेजर जयंत ए का शव दुर्घटना स्थल से बरामद कर लिया गया है। दोनों के शवों को निकट के अस्पताल लाया जा रहा है, जहां पर अंतिम कार्रवाई की जाएगी। शव शाम करीब चार बजे मिले। उधर सेना ने इस हेलिकॉप्टर हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिये हैं।
पहले भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है चीता
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अरुणाचल प्रदेश में हेलिकॉप्टर दुर्घटना का शिकार बना हो, अक्टूबर 2022 में भी तवांग में इसी प्रकार का हादसा हुआ था। उस दौरान आर्मी का चीता हेलिकॉप्टर तवांग क्षेत्र के पास क्रैश हो गया था, इस हादसे में हेलिकॉप्टर में सवार दो पायलटों में से एक की मौत हुई थी। पायलट कर्नल सौरभ यादव ने इस दुर्घटना में अपनी जान गंवाई थी।
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बता दें कि चीता हेलिकॉप्टर 60 साल पुराने हैं। लगातार दुर्घटना का शिकार बन रहे इन हेलिकॉप्टर को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। साल 2007 में रक्षामंत्री रहे एके एंटनी ने चीता हेलिकॉप्टर को लेकर तब कहा था कि यह पुरानी मशीनें अब सेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकतीं, अब इन्हें बदल देना चाहिए। दरअसल चीता हेलिकॉप्टर को फ्रांसिसी कंपनी एरोस्पेटियैल ने बनाया है। सिंगल इंजन वाला ये हेलिकॉप्टर एक समय में 5 लोगों को लेकर उड़ान भर सकता है। हल्के वजन का यह हेलिकॉप्टर सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में भी आसानी से उड़ान भरकर सामान पहुंचा सकता है। कारगिल युद्ध के दौरान भी यह अहम भूमिका निभा चुका है।