ज्ञानवापी पर कोर्ट का बड़ा फैसला, वजु स्थल छोड़कर पूरे कैंपस का होगा ASI सर्वे, जिला अदालत में हिंदू पक्ष का आवेदन मंजूर

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Vikram Jain
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ज्ञानवापी पर कोर्ट का बड़ा फैसला, वजु स्थल छोड़कर पूरे कैंपस का होगा ASI सर्वे, जिला अदालत में हिंदू पक्ष का आवेदन मंजूर

VARANASI. वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर के केस में ASI सर्वे की इजाजत मिल गई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को बड़ा आदेश सुनाते हुए अपने फैसले में कहा कि वजु स्थल को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जाए। पूरे परिसर के सर्वे का आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को दिया गया है। अदालत ने ASI के निदेशक को कहा है कि दोनों पक्षकारों से मिलकर चार अगस्त तक यह रिपोर्ट दाखिल करें कि मस्जिद के ढांचे को क्षति पहुंचाए बगैर वह कैसे सर्वेक्षण करेंगे। यह भी बताएं कि सर्वे करने वाली टीम में कौन-कौन रहेगा। फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर कौन होगा। इसके साथ ही अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि चार अगस्त तय की है।





मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज





इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट के इस आदेश को मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मुस्लिम पक्ष ने फैसले के विरोध में हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी। 14 जुलाई को करीब डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्णा विश्वेश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष ने कहा- यहां पहले से मस्जिद थी, जिसे किसी धार्मिक स्थल के स्थान पर नहीं बनाया गया। 





फैसला आते ही हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजा कोर्ट परिसर 





इधर, अदालत का फैसला आते ही हिंदू पक्ष ने कचहरी परिसर में हर-हर महादेव का उद्घोष कर खुशी जताई। ASI सर्वे की इजाजत के अदालत के फैसले पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। हिंदू के पक्ष के वकील विष्णु जैन हों या फिर याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक, सभी फैसला सुनते ही झूम उठे। अदालत के फैसले को हिंदू पक्ष अपनी बड़ी जीत बता रहा है। उनका कहना है कि अदालत ने हमारी दलीलों को मान लिया है। मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया गया है। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि अब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ASI और वैज्ञानिक सर्वे से परिसर का सच सामने आएगा। हिंदू पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने कहा कि 1984 से हम संघर्ष कर रहे थे। आज का फैसला सभी मंदिर समर्थकों के लिए टर्निंग पॉइंट है।





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अब ASI ही तय करेगा मामले की दिशा-दशा





हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट में एएसआई सर्वे के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने वैज्ञानिक सर्वे की इजाजत दे दी है। मस्जिद परिसर के सर्वे के पक्ष में कोर्ट का फैसला आया है। विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे हिस्से का सर्वे कराया जाएगा। मुस्लिम पक्ष में सर्वे कराने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कवर एरिया को छोड़कर बाकी सभी जगहों का सर्वे होगा। इससे कई चीजें साफ हो जाएंगी। कोर्ट ने हमारे उस आवेदन पर सहमति दे दी और अब ASI ही इस मामले की दिशा और दशा को तय करेगा। शिवलिंग का सर्वे नहीं होगा। उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसकी अगली सुनवाई 29 अगस्त को है। 





सर्वे के इन माध्यमों पर कोर्ट से अपील





हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने निवेदन किया था कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराना जरूरी है। इससे सनातनी हिंदुओं में तनावपूर्ण वातावरण व्याप्त है। ज्ञानवापी मामले को लेकर उपजे तनाव का सौहार्दपूर्ण समाधान वैज्ञानिक तथ्य सामने आने पर हो जाएगा। मुस्लिम पक्ष को भी इस पर तैयार होना चाहिए और सर्वे से किसी भी तरह की वर्तमान स्थिति को क्षति नहीं होगी। हिंदू पक्ष के एडवोकेट ने निवेदन किया था कि आर्कियोलॉजी के एक्सपर्ट रडार पेनिट्रेटिंग, एक्सरे पद्धति, रडार मैपिंग, स्टाइलिस्ट डेटिंग कर सकते हैं। स्टाइलिस्ट डेटिंग में किसी संरचना के निर्माण शैली से उसकी सदियों पुराने स्थिति का आकलन किया जाता है। इसमें पुरातत्व के विशेषज्ञ प्रूफ कर देते हैं कि संबंधित संरचना किस दौर की है। ज्ञानवापी परिसर में किस दौर में कौन-सी संरचना से मंदिर बना था, यह भी रिपोर्ट में होगा।





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परिसर का सर्वे कराने से इतिहास सामने आएगा





हिंदू पक्ष के वकील जैन ने अदालत में दलील दी कि सील किए गए वजूखाना को छोड़कर ज्ञानवापी के शेष अन्य स्थान का सर्वे कराया जाए। मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे धप-धप की आवाज आती है। उसके नीचे एक और शिवलिंग मिलने की संभावना है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार और पूरे परिसर का सर्वे कराने से इतिहास सामने आएगा। अदालत बिना आवेदन के भी सर्वे का आदेश दे सकती है। ऐसा साक्ष्य एकत्र करने के लिए और मौके की स्थिति को समझने के लिए अदालत कर सकती है। एएसआई से सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश बाधित नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर भी रोक नहीं लगाई है। 



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