असम सरकार ने प्रदेश में मुस्लिमों के लिए विवाह और तलाक ( Marriage and Divorce ) के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। दरअसल असम विधानसभा ( Assam Assembly ) में प्रदेश सरकार ने बाल विवाह को सामाजिक बुराई मानते एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक में मुसलमानों को विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन से संबंधित एक पुराने कानून ( old laws ) को खत्म कर दिया गया है। असम के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री ने बताया कि 22 अगस्त को विधानसभा में विधेयक ( Bill in Assembly ) पेश किया गया था जिसमें असम मुस्लिम विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन अधिनियम को रद्द करने का प्रावधान है।
काजी व्यवस्था से मिलेगी छुटकारा : सीएम
इस विधेयक पर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान चर्चा हुई। जिसमें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ( Chief Minister Himanta Biswa Sarma ) ने कहा, हमारा उद्देश्य न केवल बाल विवाह को समाप्त करना, बल्कि काजी व्यवस्था से छुटकारा पाना है। सीएम ने कहा है कि हम मुसलमानों के विवाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन (Marriage and Divorce registration ) को सरकारी प्रणाली के तहत लाना चाहते हैं।
बहु विवाह पर लगेगा लगाम
इस विधेयक को लेकर राजस्व मंत्री जोगेन मोहन ( Management Minister Jogen Mohan ) ने कहा कि इससे बहु-विवाह पर रोक लगाने एवं विवाहित महिलाओं को वैवाहिक घर में रहने, भरण-पोषण ( Maintenance ) के अपने अधिकार ( rights ) का दावा करने में मदद मिलेगी।
विधेयक के विरोध में विपक्ष
विपक्षी दलों ने सरकार के इस विधेयक की निंदा करते हुए इसे मुस्लिमों ( Muslims ) के साथ भेदभाव वाला बताया। विपक्ष का दावा है कि आगामी चुनावों को लेकर सरकार प्रदेश के लोगों को गुमराह करना चाहती है।
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