ऑस्ट्रेलिया की कोर्ट ( Australian Court ) ने एक ट्रांसजेंडर महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट का ये फैसला मिसाल बनेगा। दरअसल ट्रांसजेंडर महिला रोक्सेन टिकल ( transgender woman roxanne tikal ) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिंग आधारित भेदभाव की शिकायत की थी। उनका आरोप था कि ऐप ने उन्हें पुरुष मानते हुए उनके अकाउंट को हटा दिया था।
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि टिकल के साथ सीधे तौर पर भेदभाव नहीं हुआ, लेकिन इनडायरेक्ट तरीके से उनके साथ भेदभाव हुआ है। कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को टिकल को दस हजार ऑस्ट्रेलियन डॉलर और केस पर हुए खर्च के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक रोक्सेन टिकल ( roxanne tikal ) ने 2021 में गिगल फॉर गर्ल्स ( giggle app ) नाम की एक सोशल मीडिया ऐप अपने फोन पर डाउनलोड की थी। ये ऐप सिर्फ महिलाओं के लिए डिज़ाइन की गई थी। इस ऐप की सदस्यता लेने के लिए टिकल को एक सेल्फी अपलोड करनी पड़ी। सात महीने बाद गिगल फॉर गर्ल्स ऐप ने टिकल की सदस्यता रद्द कर दी, यह मानते हुए कि वे पुरुष हैं।
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टिकल ने ये याचिका दायर की
टिकल ने दावा किया कि उनकी कानूनी पहचान और अधिकारों के अनुसार, उन्हें इस ऐप पर महिलाओं के लिए तय सभी अधिकार मिले हैं। उन्होंने सोशल मीडिया ऐप की सीईओ सॉल ग्रोवर के खिलाफ दो लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर हर्जाने की मांग की। टिकल का कहना था कि ऐप और ग्रोवर के सार्वजनिक बयान उनके लिए परेशानियों और मानसिक तनाव का कारण बन गए है।
वहीं इस बीच गिगल फॉर गर्ल्स ऐप की टीम ने सफाई देते हुए कहा कि लिंग की एक जैविक अवधारणा होती है और ऐप को केवल महिलाओं के लिए ही डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने कहा कि टिकल को पुरुष मानने का निर्णय कानूनी रूप से उचित था।
कोर्ट का फैसला
जज रॉबर्ट ब्रोमविच ने गिगल के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि सेक्स परिवर्तनशील है और बाइनरी नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि महिलाएं किसी भी तरह के भेदभाव से सुरक्षित हैं और यह फैसला ट्रांसजेंडर्स और अन्य लोगों के हित में है। वहीं फैसला आने के बाद सोशल मीडिया ऐप के सीईओ, सॉल ग्रोवर, ने एक्स पर लिखा कि यह फैसला उनके पक्ष में नहीं आया, लेकिन महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
टिकल के बारे में जानिए
टिकल का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था, लेकिन 2017 से वे एक महिला के रूप में रह रही हैं। कोर्ट में टिकल ने कहा कि सभी ने उन्हें एक महिला के रूप में ही व्यवहार किया, लेकिन ग्रोवर का मानना है कि जन्म के समय प्राप्त लिंग को बदलना संभव नहीं है। टिकल के वकील जॉर्जिया कोसटेलों ने ग्रोवर से पूछा कि क्यों नहीं स्वीकार किया जाता कि लिंग परिवर्तन के बाद कोई व्यक्ति महिला हो सकता है, भले ही उनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ हो।
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