भारत के मानवयुक्त एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन का प्रक्षेपण एक बार फिर मौसम की स्थिति के चलते टाल दिया गया है। इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने जानकारी दी है कि अब यह मिशन 11 जून को शाम 5:30 बजे लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले लॉन्च की निर्धारित तिथि 10 जून थी। 1984 में राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष उड़ानों के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।
तीसरी बार टली लॉन्चिंग
Axiom-4 मिशन खराब मौसम के कारण पहले ही दो बार टल चुका है। ISS की यात्रा के लिए कंपनी ‘स्पेसएक्स’ के फाल्कन-9 रॉकेट को 10 जून को उड़ान भरनी थी। लेकिन, मौसम ठीक नहीं होने के कारण यह उड़ान रद्द कर दी गे। अब इसे 11 जून 2025 को शाम 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्चिंग अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center) से होगी।
स्पेसएक्स फाल्कन-9 रॉकेट से होगा प्रक्षेपण
मिशन को स्पेसएक्स (SpaceX) के फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा, जो 14 दिन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजेगा।
शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष के नए भारतीय प्रतिनिधि
लखनऊ में जन्में शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे। वह इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के संयुक्त सहयोग से चलाए जा रहे इस मिशन का हिस्सा हैं। उनकी फुल ड्रेस रिहर्सल हो चुकी है।शुभांशु शुक्ला से पहले राकेश शर्मा ने सोवियत रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
शुभांशु ने कहा कि वह खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें इस मिशन का हिस्सा बनने का अवसर मिला। इससे न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे देश को गर्व होगा।
चार देशों की सहभागिता
Axiom-4 Spaceflight Mission में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। इनमें कमांडर पैगी व्हिटसन, पायल शुभांशु शुक्ला (भारत) स्पेशलिस्ट टिगोर कापू (हंगरी), स्पेशलिस्ट स्लावोज विस्निएव्स्की (पोलैंड) शामिल हैं।
यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान की वापसी का प्रतीक है।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान को नई दिशा
Axiom-4 मिशन के ज़रिए भारत का निजी और वाणिज्यिक अंतरिक्ष कार्यक्रम एक नई दिशा में अग्रसर हो रहा है। यह अंतरिक्ष में भारत की भागीदारी को वैश्विक मंच पर और मज़बूत करेगा।
इस मिशन में इसरो और नासा दोनों की सहभागिता भारत-अमेरिका की अंतरिक्ष भागीदारी को और मजबूती प्रदान करती है।
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