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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की तैयारियां तेज हो गई हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस बड़े आयोजन को अंतिम रूप दे रहा है। 25 नवंबर को राम मंदिर में ध्वजारोहण और पूर्णाहुति समारोह रखा गया है। ट्रस्ट मीडिया कोऑर्डिनेटर शरद शर्मा ने इसकी पूरी जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि इस बार का कार्यक्रम खास तौर पर उत्तर प्रदेश पर केंद्रित है। अयोध्या के संतों के साथ-साथ पूर्वी यूपी के विशेष लोगों को बुलाया गया है। अवध, काशी और गोरक्ष प्रांत से भी मेहमान कार्यक्रम में शामिल होंगे।
करीब 6 हजार से 7 हजार लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे। मेहमानों के चयन का काम विश्व हिंदू परिषद और संघ परिवार ने मिलकर किया है। धर्माचार्य विभाग ने देश के बड़े-बड़े शिव, हनुमान और दुर्गा मंदिरों के प्रमुखों को न्योता भेजा है।
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पीएम मोदी और मोहन भागवत की उपस्थिति
25 नवंबर का दिन अयोध्या के लिए बहुत ही ऐतिहासिक होगा। इस दिन पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत विशेष रूप से मौजूद रहेंगे।
कोऑर्डिनेटर शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर निर्माण का जो लंबा कार्य चल रहा था, उसकी पूर्णाहुति इसी दिन की जाएगी। यह समारोह वर्षों की तपस्या और संघर्ष का समापन होगा। यह कार्यक्रम देश और धर्म की आस्था के लिए बहुत बड़ा संदेश देगा।
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20 नवंबर से शुरू होगा अनुष्ठान
बता दें कि, अयोध्या राम मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान 20 नवंबर से शुरू हो जाएंगे। सबसे पहले सरयू जल से कलश यात्रा का शुभारंभ किया जाएगा। दोपहर 2:30 बजे महिलाओं का आगमन होगा जो कलश लेकर आएंगी।
शाम 4 बजे तक विशेष पूजन होगा और फिर कलश यात्रा मंदिर की ओर आगे बढ़ेगी। 21 नवंबर से 24 नवंबर तक मंदिर में नित्य पूजन और धार्मिक क्रियाएं चलती रहेंगी।
सबसे जरूरी आयोजन 25 नवंबर को होगा, जब पूर्णाहुति की जाएगी। इस दौरान यज्ञशाला में वैदिक मंत्रों के साथ हवन-अनुष्ठान चलेगा। हालांकि यजमान कौन होगा, इसकी जानकारी ट्रस्ट बाद में जारी करेगा।
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छह देवालयों में भी होगा विशेष पूजन
राम मंदिर परिसर (अयोध्या राम मंदिर कार्यक्रम) को और दिव्य बनाने की तैयारी है। कोऑर्डिनेटर शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर के परकोटे में बने छह छोटे मंदिरों में भी विशेष पूजन होगा।
इनमें हनुमान मंदिर, गणेश मंदिर, माता अन्नपूर्णा मंदिर, मां दुर्गा मंदिर, शिव परिवार मंदिर और सूर्य देव का मंदिर शामिल हैं। इन सभी देवालयों में प्राण प्रतिष्ठा पहले ही हो चुकी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि 25 नवंबर के बाद इन सभी मंदिरों के दर्शन आम भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। यह एक बड़ी राहत की खबर है, क्योंकि भक्त अब पूरे परकोटे का दर्शन कर पाएंगे।
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भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के इंतजाम
अयोध्या का राम मंदिर में ध्वजारोहण की पूरी प्रक्रिया में भारतीय सेना का सहयोग लिया जाएगा। सेना की मदद से यह ऐतिहासिक कार्य शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगा। निर्माण से जुड़ी प्रमुख एजेंसियां, जैसे एलएनटी, टाटा और सोनपुर ग्रुप, समन्वय में जुटी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक अभी रामलला के दर्शन के लिए रोज करीब 70-80 हजार भक्त आ रहे हैं। वहीं, राम दरबार का दर्शन वर्तमान में लगभग 5 हजार लोग ही कर पा रहे हैं।
राम दरबार तक जाने के लिए 40 सीढ़ियां हैं, इसलिए भीड़ प्रबंधन पर विचार किया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि अगर दर्शन करने वालों की संख्या बढ़ानी पड़ी तो सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखा जाएगा।
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