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Latest Religious News:सनातन धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिदेव कहा जाता है। इन तीनों देवों को सृष्टि का कार्यभार संभालते हुए माना जाता है। जहां विष्णुजी और शिवजी के मंदिर पूरी दुनिया में भरे हुए हैं, वहीं ब्रह्माजी की पूजा कम होती है।
यह एक बड़ा धार्मिक रहस्य है जो अक्सर लोगों को हैरान करता है। ब्रह्माजी का पूरे विश्व में केवल एक ही प्रमुख मंदिर है। यह पावन मंदिर राजस्थान के पवित्र शहर पुष्कर में स्थित है।
यह वर्तमान मंदिर 14वीं शताब्दी का बताया जाता है। मंदिर में चतुर्मुखी ब्रह्मा की भव्य मूर्ति विराजमान है। आइए जानते हैं कि आखिर इसका क्या पौराणिक कारण है।
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देवी सावित्री का क्रोध और श्राप की कहानी
यह रहस्य एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कथा के मुताबिक, इसका कारण देवी सावित्री द्वारा दिया गया श्राप है।
यज्ञ के लिए स्थल की तलाश:
एक बार ब्रह्माजी अपने हंस वाहन पर सवार होकर चले। वह अपने हाथ में कमल का फूल लिए हुए थे। वह यज्ञ करने के लिए उचित जगह ढूंढ रहे थे।
कमल पुष्प से बना तीर्थ:
यात्रा के दौरान वह कमल का फूल उनके हाथ से नीचे गिर गया। जिस जगह पर फूल गिरा, वहाँ तीन पवित्र झरने बन गए। इन्हें ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर कहा गया।
ब्रह्माजी का यज्ञ संकल्प:
ब्रह्माजी ने इसी जगह पर यज्ञ करने का निर्णय लिया। लेकिन धार्मिक नियमों के अनुसार यज्ञ में पत्नी का होना बहुत ज़रूरी था।
शुभ मुहूर्त निकला:
उस समय देवी सावित्री वहां पर उपलब्ध नहीं थीं। यज्ञ का शुभ मुहूर्त तेजी से निकल रहा था।
दूसरे विवाह का निर्णय:
इसलिए ब्रह्माजी ने उसी क्षण वहाँ मौजूद एक सुंदर स्त्री से विवाह किया। उन्होंने उस स्त्री को पत्नी बनाकर यज्ञ संपन्न कर लिया।
श्राप का प्रहार:
जब यह बात देवी सावित्री को पता चली, तो वह बहुत क्रोधित हुईं। उन्होंने क्रोधित होकर ब्रह्माजी को एक कड़ा श्राप दे दिया। श्राप दिया गया कि पूरी सृष्टि में उनकी पूजा नहीं की जाएगी।
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पुष्कर क्यों है ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर
यही श्राप इस रहस्य का मुख्य कारण बताया जाता है।
पुष्कर में यज्ञ और तपस्या:
ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही स्थापित है। ब्रह्माजी ने इसी स्थान पर दस हजार वर्षों तक रहकर सृष्टि की रचना की। उन्होंने पांच दिनों तक यहां यज्ञ किया था।
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सावित्री देवी की नाराजगी शांत हुई:
देवी सावित्री अपनी तपस्या के दौरान वहीं पहुंची थीं। वहां ब्रह्माजी की तपस्या देखकर उनकी नाराजगी शांत हुई थीं।
श्रद्धालु दूर से ही करते हैं प्रार्थना:
आज भी श्रद्धालु ब्रह्माजी से दूर से ही प्रार्थना करते हैं। यह श्राप अभी भी मान्य होने की धार्मिक धारणा है।
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देवी सावित्री का धाम
देवी सावित्री इस घटना के बाद पुष्कर (ब्रह्मा मंदिर पुष्कर) की पहाड़ियों पर चली गईं। वह वहाँ जाकर तपस्या में लीन हो गईं थी। आज भी वह वहां के मंदिर में विराजमान हैं।
माना जाता है कि वह भक्तों का कल्याण करती हैं। उनकी कृपा से ही श्रद्धालु लाभ पाते हैं। इस प्रकार पुष्कर ब्रह्मा और सावित्री दोनों की आस्था का केंद्र है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | dharm news today
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