अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का तीन दिनी उत्सव शनिवार से शुरू हो गया। इस विशेष मौके पर शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों के साथ अग्निहोत्र यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं और धार्मिक विद्वानों ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति से भाग लिया।
साथ ही,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर महाआरती की, जो पूरे मंदिर परिसर में एक उल्लास और आस्था का माहौल बन गया। ये उत्सव पिछले साल की पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी 2024) को राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर हुआ था। इस साल विशेष रूप से दो वर्षगांठों का उत्सव मनाया जाएगा।
पौष शुक्ल द्वादशी और हिंदू नववर्ष का संयोग
पिछले साल 22 जनवरी को राम मंदिर में भगवान राम की भव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। तभी से इस साल ये दिन विशेष रूप से दो वर्षगांठों का प्रतीक बन गया है। एक ओर जहां हिंदू नववर्ष 30 मार्च को शुरू होगा, वहीं दूसरी ओर पौष शुक्ल द्वादशी इस साल 31 दिसंबर को पड़ रही है, जो कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का हिस्सा है।
ये विशेष संयोग दोनों वर्षगांठों के उत्सव को और भी विशेष बना देता है। मीडिया प्रभारी शरद शर्मा बताते हैं कि, हिंदू पंचांग के मुताबिक ही इस उत्सव की धूमधाम से तैयारी की जाएगी। तो ऐसे में इस तरह का संयोग इस उत्सव को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।
रामलला के महाभिषेक और सोने के रत्नाभूषणों से श्रृंगार
राम मंदिर में प्रभु रामलला के महाभिषेक के बाद उनका विशेष श्रृंगार भी किया गया। भगवान राम को सोने के तारों से सिला पीताम्बर वस्त्र पहनाया गया। सिर पर उन्हें नीलम वाला मुकुट, स्वर्ण कुंडल और स्वर्ण-रत्नाभूषणों से सजाया गया। इस सजे-धजे रूप में रामलला की छवि भक्तों को बहुत ही आकर्षक और दिव्य नजर आई, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा अनुभव था।
सीएम योगी का संबोधन और एकता का संदेश
धार्मिक कार्यक्रमों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि, अगर हमारे देश में आपसी मतभेद बढ़ेंगे और जातीयतावाद की खाइयां चौड़ी होंगी, तो इसका खामियाजा सबसे पहले हमारे धर्मस्थलों को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ये दिन हमारे देश की एकता और अखंडता की ताकत को दर्शाता है। यदि हम सब मिलकर एकजुट होकर कार्य करें, तो हमारे धर्मस्थल और समाज सुरक्षित रहेंगे और देश प्रगति की ओर बढ़ेगा।
योगी ने ये भी कहा कि, इस तरह के उत्सवों के माध्यम से न केवल धार्मिक आस्थाओं को मजबूत किया जाता है, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता का भी संदेश दिया जाता है। उनका ये संदेश था कि हर नागरिक को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव आ सके।
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