सभी दुखों को हरने वाले भगवान श्रीराम के रामलला की (प्रतिमा) प्राण- प्रतिष्ठा की वर्षगांठ अब हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार आयोजित होगी। अयोध्या में बने भव्य श्रीराम मंदिर में इस आयोजन को लेकर अंग्रेजी तारीखों को समाप्त कर दिया गया है। अब यह प्राण-प्रतिष्ठा अगले वर्ष 11 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी (कूर्म द्वादशी) को मनाई जाएगी। इसे प्रतिष्ठा द्वादशी भी कहा जाएगा। इस वर्ष यह 22 जनवरी को मनाई गई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल अक्टूबर तक श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा, जिसके बाद श्रद्धालु पूर्ण भक्ति-भाव से इस भव्य मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।
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मंदिर में हिंदू परंपरा का होगा निर्वाह
इस मसले को लेकर अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने कुछ विशेष निर्णय लिए हैं, जिनमें प्राण-प्रतिष्ठा की नई तिथि भी शामिल है। अयोध्या में आयोजित इस विशेष बैठक में न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, जगद्गुरु विश्व प्रसन्न तीर्थ, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, महंत दिनेंद्र दास, डॉ अनिल मिश्र, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र मौजूद थे। बैठक के बाद जानकारी दी गई कि अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार मनाई जाएगी। इस वर्ष यह तिथि अगले वर्ष 11 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी (कूर्म द्वादशी) के दिन पड़ेगी। वैसे श्रीराम की प्रतिमा की पहली प्राण-प्रतिष्ठा इस वर्ष 22 जनवरी को आयोजित की गई थी। अब यह तिथि मान्य नहीं होगी।
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श्रद्धालुओं को मिलेगी चिकित्सा व अन्य सुविधाएं
इस बैठक में अयोध्या में आने वाले राम भक्तों को सुविधा देने के लिए भी अन्य निर्णय लिए गए। न्यास के अनुसार मंदिर परिसर में यात्री सेवा केंद्र के पास 3000 वर्ग मीटर क्षेत्र में अपोलो अस्पताल की ओर से आधुनिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाएगा, ताकि आपात स्थिति में श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सके। श्री राम मंदिर परिसर के दक्षिणी हिस्से में 500 लोगों के बैठने के लिए ऑडिटोरियम (विश्राम स्थल) बनेगा। साथ ही अतिथि समागम स्थल व ट्रस्ट का कार्यालय भी बनाया जाएगा। इसके अलावा गर्मी और वर्षा से बचाने के लिए मंदिर परिसर में 9 मीटर चौड़े और 600 मीटर लंबे स्थायी शेड का निर्माण भी किया जा रहा है।
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अगले वर्ष अक्टूबर तक संपूर्ण श्री राम मंदिर के दर्शन
मंदिर न्यास ने संभावना जताई है कि अगले वर्ष अक्टूबर तक मंदिर निर्माण का संपूर्ण कार्य पूरा हो जाएगा, इसके लिए लगातार कार्य चल रहा है। न्यास की जानकारी के अनुसार सप्त मंडल मंदिर का निर्माण कार्य अगले वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा। शेषावतार मंदिर का निर्माण अगस्त 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके अलावा अगले वर्ष अक्टूबर तक बाहरी परकोटे का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। न्यास का यह भी कहना है कि राम मंदिर के सभी 18 मंदिरों की आरती के लाइव प्रसारण की भी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए दूरदर्शन से वार्तालाप चल रही है, ताकि देश विदेश के रामभक्त आसानी से श्रीराम प्रतिमा व मंदिर परिसर व होने वाली गतिविधियों का दर्शन कर सकें।
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500 साल का संघर्ष और श्री राम मंदिर का निर्माण
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पिछले 500 सालों से विवाद चल रहा है। कहा जा रहा है कि मुगल शासक बाबर ने वहां श्रीराम मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मसले पर लगातार विवाद भी चलते रहे। केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। आपको बता दें कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उसने ही सभी पक्षों के साथ लंबी सुनवाई की और निर्माण को लेकर निर्णय लिया। इस मसले पर 9 नवंबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। करीब 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश जारी किया गया। 25 मार्च 2020 को रामलला टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए। पांच अगस्त 2020 को श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ व अन्य विशेष लोग शामिल हुए। इसके बाद निर्माण शुरू हो गया और इसी वर्ष जनवरी माह मे रामलला प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कर मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।
एक नजर में श्रीराम मंदिर की विशेषताएं
मंदिर के मुख्य गर्भगृह में रामलला (भगवान श्रीराम का शिशु रूप) की मूर्ति विराजमान की गई है। प्रथम तल पर राम दरबार होगा। मंदिर में पांच मंडप बन रहे हैं, जिनके नाम नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप हैं। परकोटे (परिधि) के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण पूर्ण होने को है। उत्तरी दिशा में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर होगा और दक्षिण दिशा में भगवान हनुमान का मंदिर स्थापित किया जा रहा है। मंदिर परिसर के भीतर अन्य मंदिर महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, राजा निषाद, माता शबरी और देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। मंदिर परिसर में सीता कुंड नामक एक पवित्र कुंड भी होगा। दक्षिण-पश्चिम दिशा में नवरत्न कुबेर पहाड़ी पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा और जटायु की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी। असल में इस मंदिर को देश की आध्यात्मिक राजधानी बनाने का पूरा प्रयास चल रहा है, जहां श्रद्धालु संपूर्ण रामायण के दर्शन आसानी व पूर्ण भक्तिभाव से कर सकेंगे।
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