Bengaluru . जो सोवत है वो खोवत है, जो जागत है सो पावत है... लेकिन अब इस पुरानी कहावत के मायने उलट देखने को मिल रहे है। अब सोते रहने वाला व्यक्ति हमेशा खोता नहीं है बल्कि जागने वालों से कहीं ज्यादा हासिल कर लेता हैं। और लाखों जीतकर मालामाल भी होता है। ऐसा ही कुछ कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में देखने के मिला। यहां आयोजित स्लीप चैंपियन कॉम्पिटिशन (Sleep Champion Competition) में एक महिला ने सिर्फ सोकर 9 लाख रुपए जीत लिए हैं। और वह स्लीप चैंपियन बनीं।
स्टार्टअप कंपनी ने कराया कॉम्पिटिशन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु में वेकफिट (Wakefit) नाम की स्टार्टअप कंपनी ने स्लीप चैंपियन कॉम्पिटिशन का आयोजन किया था। इस कॉम्पिटिशन में बेंगलुरु की निवेश बैंकर सैश्वरी पाटिल ने खिताब अपने नाम किया है। इस प्रोग्राम की विजेता सैश्वरी पाटिल को 9 लाख रुपए का लाभ हुआ है। इस प्रतियोगिता में बेंगलुरू की सैश्वरी पाटिल के साथ ही 11 और प्रतिभागियों को चुना गया था। यह वेकफिट स्टार्टअप कंपनी के स्लीप इंटर्नशिप प्रोग्राम का तीसरा सीजन है। जिसमें सैश्वरी पाटिल (Saishwari Patil ) ने जीत दर्ज की है। वह 12 अन्य स्लीप इंटर्न में से एक थीं।
इस कार्यक्रम में अच्छी नींद की चाहत रखने वाले लोग जो काम समेत कई कारणों के चलते भरपूर सो नहीं पाते हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। इस प्रोग्राम में कई नींद के प्रेमी भाग लेते हैं। सभी इंटर्न्स को दिन में 20 मिनट की अच्छी झपकी लेने (पावर नैप) के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। सभी चुने गए इंटर्न को वेकफिट की ओर से नींद को बेहतर करने के लिए प्रीमियम गद्दा और एक कॉन्टैक्ट लेस स्लीप ट्रैकर भी दिया गया था। इसमें प्रतिभागियों को हर रात 8-9 घंटे सोने का टास्क दिया जाता है।
स्लीप चैंपियन बनीं सैश्वरी पाटिल
चैंपियन बनने के बाद सैश्वरी पाटिल ने बताया कि कोरोना काल से उसकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई थी। डिमांडिंग जॉब की वजह से भी नींद पूरी नहीं हो पाती थी। उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम ने सिखाया कि कैसे एक अनुशासित नींद लेने वाला बना जा सकता है। सैश्वरी ने यह बताया कि कॉम्पिटिशन जीतने के तनाव और दबाव से भी नींद प्रभावित हो सकती है। उन्होंने बताया कि नींद के स्कोर में सुधार करने का विचार तनावपूर्ण था। फाइनल के दिन उन्होंने सिर्फ शांत और उपस्थित रहने पर पूरा फोकस किया। उन्होंने बताया कि बदलती जीवनशैली, कामकाज और सोशल मीडिया की आदत ने लोगों की स्लीप साइकिल के साथ-साथ टाइमिंग को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
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