NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि OBC और SC-ST के मेधावी स्टूडेंट सामान्य सीट पर एडमिशन पाने के हकदार हैं। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार मेरिट के आधार पर अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग की सीटों पर दावा कर सकते हैं। तो इन उम्मीदवारों को अनारक्षित सीटों दाखिला पर ही मिलना चाहिए।
मप्र हाईकोर्ट के फैसले को किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया जिसमें आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों को अनारक्षित वर्ग की सीटों पर मेरिट के आधार पर एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया था। पूरा मामला एमपी के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन से जुड़ा है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राम नरेश उर्फ रिंकू कुशवाहा और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
सौरभ यादव बनाम उप्र राज्य मामले को आधार बनाया
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने फैसले में कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी (आरक्षित वर्ग) के मेधावी छात्रों को योग्यता के आधार पर अनारक्षित या सामान्य वर्ग की सीटों पर दाखिला पाने के हकदार हैं, तो उनको आरक्षण वाली सीटों पर दाखिला मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पहले दिए एक फैसले पर भरोसा जताते हुए सुनाया है। कोर्ट ने सौरभ यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले को आधार बनाया था।
जानें क्या है मामला?
मध्य प्रदेश का यह मामला एमबीबीएस सीटों पर नामांकन से जुड़ा हुआ है। मप्र शिक्षा प्रवेश नियम 2018 के नियम 2(G) के तहत 5 फीसदी सीटें सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए आरक्षित हैं। इनमें जो सीटें खाली बचती हैं, उन्हें जीएस-यूआर श्रेणी से ओपन श्रेणी के लिए स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसी को लेकर याचिका दायर की गई।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सीटें ओपन कैटेगरी में स्थानांतरित करने से पहले आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्र जो सरकारी स्कूल में पढ़ें हैं, उन्हें मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया है।