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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा उनकी गोपनीयता का उल्लंघन नहीं है। यह फैसला हाईकोर्ट की जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेन्द्र जैन की बेंच ने महाराष्ट्र सूचना आयोग के आदेश को निरस्त करते हुए सुनाया।
इस फैसले में आयोग ने उम्मीदवारों के अंकों को निजी जानकारी मानते हुए सूचना देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का हवाला देते हुए कहा था कि सार्वजनिक हित में यह जानकारी प्रदान की जा सकती है।
पारदर्शी हो भर्ती प्रक्रिया : हाईकोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंक किसी भी प्रकार की निजी जानकारी नहीं है, जिसके सामने आने से उनकी निजता का उल्लंघन हो। ऐसे सार्वजनिक कार्य में निजी जानकारी को भी सार्वजनिक किया जा सकता है, ताकि चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरटीआई की धारा 8(1)(जे) के अंतर्गत केवल उन्हीं निजी सूचनाओं को प्रकट करने से छूट दी गई है, जिनका कोई सार्वजनिक हित नहीं है। जबकि भर्ती प्रक्रिया में अंकों का खुलासा सार्वजनिक हित के दायरे में आता है और इसे प्रकट करना अनुचित नहीं है।
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