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तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के बाद भारत में तुर्की उत्पादों के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। इस क्रम में पुणे के सेब व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना बंद कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि जब भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहा था, तब तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई कर समर्थन दिया। इसके जवाब में व्यापारियों ने तुर्की के ‘गद्दार’ रवैये के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार का निर्णय लिया है।
अब वे हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य देशों से सेब खरीद रहे हैं। इस फैसले से तुर्की सेबों की बिक्री में 50% की गिरावट आ चुकी है। आम ग्राहक भी इस अभियान का हिस्सा बनते जा रहे हैं और खुदरा बाजार में इसका असर और गहरा हो गया है। व्यापारियों ने यह भी याद दिलाया कि जब तुर्की में भूकंप आया था, भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी, फिर भी तुर्की का पाकिस्तान प्रेम निंदनीय है।
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तुर्की सेब पर क्यों भड़के भारतीय व्यापारी
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की के पाकिस्तान के समर्थन ने भारतीय व्यापारियों को आक्रोशित कर दिया है। पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब आयात बंद कर दिया है। उनका कहना है कि जब भारत आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहा था, तब तुर्की का पाकिस्तान को ड्रोन भेजना न केवल कूटनीतिक हस्तक्षेप है, बल्कि भारत के खिलाफ अपरोक्ष रूप से खड़ा होना भी है।
पुणे एपीएमसी में तुर्की सेब का बहिष्कार
पुणे की एपीएमसी मंडी में तुर्की के सेबफल की बिक्री लगभग बंद हो चुकी है। प्रमुख व्यापारी सुयोग झेंडे ने कहा कि बाजार में तुर्की सेब की मांग 50% से अधिक गिर गई है। उन्होंने बताया कि ग्राहक खुद मांग कर रहे हैं कि वे देशद्रोही देश का माल नहीं खरीदेंगे।
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हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान बने नए विकल्प
तुर्की से दूरी बनाते हुए सेब व्यापारी अब हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और ईरान जैसे विकल्पों की ओर रुख कर चुके हैं। इससे देश के भीतर उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी निर्भरता घटेगी। साथ ही यह देशभक्ति की भावना को आर्थिक रूप से भी अभिव्यक्त करने का तरीका बन गया है।
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1200 करोड़ का कारोबार प्रभावित
जानकारों के मुताबिक तुर्की सेबों का भारत में सालाना कारोबार लगभग 1200 करोड़ रुपए का है। तीन महीनों तक यह सेब भारतीय मंडियों में बिकते हैं। इस बहिष्कार से न केवल तुर्की की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि यह एक कड़ा संदेश भी देगा कि भारत अब परोक्ष शत्रुओं को आर्थिक रूप से भी जवाब देने के लिए तैयार है।
खुदरा उपभोक्ताओं ने दिखाया रुख
केवल व्यापारी ही नहीं, खुदरा उपभोक्ताओं ने भी तुर्की सेबों से किनारा कर लिया है। दुकानदारों के अनुसार ग्राहक खुद पूछकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जो सेब वे खरीद रहे हैं, वह तुर्की से न हो। इस प्रकार यह आंदोलन केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि सामाजिक बन गया है।
भारत की मदद भूला तुर्की
व्यापारियों ने याद दिलाया कि जब तुर्की में भूकंप आया था, भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी। लेकिन आज वही तुर्की भारत के विरोध में खड़ा नजर आता है। यह असंवेदनशीलता और कृतघ्नता का प्रतीक है, जिसे भारतीय व्यापारी और आम नागरिक स्वीकार नहीं कर सकते।
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