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BHOPAL. मध्यप्रदेश में साल दर साल सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव के मामले बढ़ रहे हैं। भारत के रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नरेट की ताजा रिपोर्ट भी सिजेरियन प्रसव, मातृ और शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों को उजागर कर रही है। जहां एक ओर डब्लूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) के मानदंड के मुताबिक सिजेरियन प्रसव की संख्या 15 फीसदी से कम होनी चाहिए वहीं मध्यप्रदेश में ये आंकड़ा 31 प्रतिशत तक पहुंच गया है। राजधानी भोपाल में हर तीसरी महिला ऑपरेशन से बच्चे को जन्म दे रही है। आंकड़ों की बात करें तो न केवल भोपाल बल्कि इंदौर, ग्वालियर और होशंगाबाद जिलों में सिजेरियन प्रसव की संख्या प्रदेश के अन्य जिलों से कहीं ज्यादा है। देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले 10 प्रमुख राज्यों में सिजेरियन प्रसव के मामले में मध्यप्रदेश छठवे नंबर पर है। निजी नर्सिंग होम और मेटरनिटी सेंटरों में भर्ती होने वाली धात्री महिलाओं के सिजेरियन प्रसव की संख्या सरकारी अस्पतालों के मुकाबले अधिक है। आखिर मध्यप्रदेश में सिजेरियन प्रसव के आंकड़ों में क्यों उछाल आ रहा है। इसके पीछे के वास्तविक कारण क्या हैं, इसको लेकर द सूत्र की टीम ने विस्तृत पड़ताल की है। इसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आए हैं।
भोपाल में 48 में से 15 हजार सिजेरियन प्रसव
सबसे पहले सिजेरियन प्रसव को लेकर डब्लूएचओ के मानदंड क्या है इसको जान लेते हैं। दरअसल डब्लूएचओ के अनुसार जब सिजेरियन प्रसव की दर 10% तक होती है, तब मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। जबकि ज्यादा सिजेरियन प्रसव स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बढ़ा सकते हैं। उनमें दूसरे गर्भाधान और प्रसूति में भी अवरोध की गुंजाइश बढ़ सकती है। इसके बावजूद न केवल देश में बल्कि मध्यप्रदेश में सिजेरियन प्रसव की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अकेले भोपाल के सरकारी और निजी अस्पतालों की बात करें तो साल 2023_ 24 में कुल 48 हजार 658 प्रसव दर्ज किए गए हैं। इनमें से 33 हजार 668 प्रसव सामान्य हुए हैं जबकि 14 हजार 990 महिलाओं की डिलेवरी सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए कराई गई है। यानी राजधानी में बीते सत्र में 31 फीसदी सिजेरियन प्रसव हुए हैं जो कि डब्लूएचओ के मानदंड के मुकाबले करीब दोगुना ज्यादा हैं।
देश में सर्वाधिक सिजेरियन प्रसव वाले प्रदेश
NFHS-5 के अनुसार देश में सिजेरियन प्रसव के बढ़ते आंकड़े 60 फीसदी से भी ऊपर चले गए हैं। दक्षिण भारत के तेलंगाना में साल 2023_24 में सिजेरियन प्रसव की संख्या सबसे अधिक 60.7% रही है। इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु में 44.9 %, आंध्र प्रदेश 42.4 % के साथ तीसरे, 38.9 % के साथ केरल में चौथे, 31.5 % सिजेरियन प्रसव के साथ कर्नाटक पांचवे नंबर पर रहा है। इसी क्रम में 31 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन के साथ देश में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में मध्यप्रदेश छठवें पायदान पर खड़ा है।
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क्यों बढ़ रही है सिजेरियन डिलेवरी की संख्या
अब बात करते हैं आखिर सिजेरियन प्रसव की संख्या बढ़ क्यों रही है। क्या निजी अस्पतालों में ज्यादा कमाई के चक्कर में सिजेरियन कराए जा रहे हैं या फिर गर्भवती महिलाएं प्रसव पीड़ा या दूसरी दिक्कतों से बचने के लिए स्वयं सिजेरियन से डिलेवरी करा रही हैं। इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए द सूत्र की टीम ने राजधानी के कैलाशनाथ काटजू मेटरनिटी अस्पताल की स्त्रीरोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ ही वहां भर्ती गर्भवती महिलाओं के परिजनों से बात की। इस चर्चा में न केवल सिजेरियन प्रसव बढ़ने के कारण सामने आए हैं।
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महिलाएं चाहती हैं प्रसव पीड़ा से निजात
काटजू अस्पताल भोपाल की विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों का कहना है कि कैरियर और आधुनिक समाज की दौड़ में युवतियां काफी आगे बढ़ गई हैं। ज्यादातर युवतियां कामकाजी हैं और निजी या सरकारी क्षेत्रों में नौकरी कर रही हैं। कैरियर बनाने के चक्कर में वे विवाह देरी से कर रही हैं। इस वजह से उनमें प्रसव की आयु भी 30 या 35 से ऊपर चली गई है। अधिक उम्र में प्रसूति के दौरान कई शारीरिक दिक्कतें आती हैं। प्रसव पीड़ा और इस दौरान होने वाली मुश्किलों से बचने के लिए ये महिलाएं सुरक्षित प्रसव के लिए सिजेरियन कराना चाहती हैं।
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चिकित्सकीय सुविधाओं से भी बढ़े सिजेरियन
दूसरा बड़ा कारण प्रसूति के लिए सुरक्षित और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं हैं। अब एनेस्थीसिया को आधुनिक उपकरणों ने आसान और साइडइफेक्ट रहित बना दिया है। इस वजह से सिजेरियन पूरी तरह सुरक्षित हो गया है। अब आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की महिलाएं भी आयुष्मान कार्ड से मिलने वाली निशुक्ल सेवा की वजह से निजी अस्पतालों में सिजेरियन करा रही हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आधुनिक मेटरनिटी सुविधाओं के चलते सिजेरियन प्रसव सामान्य से ज्यादा सहज है। इसमें जच्चा_बच्चा को किसी विषम परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाएं बच्चे को विशेष दिन, समय और मुहुर्त पर जन्म देने की इच्छा भी रखती हैं और इस वजह से भी सिजेरियन प्रसव का सहारा लेती हैं।
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पिछड़े जिलों में सामान्य, शहरों में सिजेरियन ज्यादा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस में सामने आया है कि मध्यप्रदेश में आदिवासी अंचल और छोटे जिलों में सामान्य प्रसव अधिक हो रहे हैं। जबकि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों और बड़े जिले जहां अधिक आय वर्ग वाले परिवार हैं वहां सिजेरियनों की संख्या बढ़ी है। भोपाल में साल 2023_ 24 में सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा 31 फीसदी तक पहुंच चुका है। इसके साथ ही इंदौर, ग्वालियर में भी सिजेरियन प्रसव की संख्या का आंकड़ा 25 से 31 फीसदी है। जबकि प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर के पीसी सेठी अस्पताल में साल 2025 की शुरूआत में सिजेरियन प्रसव की संख्या बढ़कर 26 फीसदी पहुंच गई थी। जबकि इसी अवधि में पूरे इंदौर जिले में यह संख्या 30.59 प्रतिशत रही है। जबकि साल 2023_24 में यह आंकड़ा 24 फीसदी के आसपास था। एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में संस्थागत प्रसव की स्थिति 90 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है। प्रदेश में सरकारी अस्पताल में बीते साल में सिजेरियन प्रसव 8 फीसदी से ज्यादा बढ़े हैं वहीं निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव में 52 प्रतिशत से ज्यादा उछाल आया है।