NEW DELHI. जैसे हम घर का बजट बनाते हैं, वैसे ही देश का बजट बनता है। कितने रुपये की आमदनी होगी, उसमें से कितने रुपये का खर्च बच्चों की फीस पर होगा, खाने-पीने की वस्तुओं पर कितनी राशि खर्च करनी पड़ेगी, कुछ इसी तरह सरकार देश का बजट बनाती है। सैकड़ों अधिकारी मिलकर आम बजट को तैयार करते हैं। बजट बनाने की प्रक्रिया में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय उद्योग संगठनों और तमाम सेक्टर्स से सुझाव मांगता है, फिर बजट को अंतिम रूप दिया जाता है। बजट को अंतिम रूप देने के लिए अधिकारी करीब 10 दिन कैद में रहते हैं।
बजट बेहद गोपनीय दस्तावेज होता है। इसे तैयार करने में कड़ी मशक्कत लगती है। अगर 10 दिनों को मिनटों में बदलें तो ये 14,400 मिनट होते हैं। यानी बजट को अंतिम रूप देने वाले अधिकारी 14,400 मिनट तक कैद में रहते हैं। बजट तैयार होने के दौरान वित्त मंत्री के बेहद सीनियर और भरोसेमंद अधिकारियों को ही घर जाने की इजाजत होती है।
सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम
देश का आम बजट जब तक संसद में पेश नहीं हो जाता, तब तक इसे तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़े लोगों की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होती है। किसी भी बाहरी व्यक्ति वित्त मंत्रालय में प्रवेश वर्जित रहता है। बजट के दस्तावेज को तैयार करने वाली टीम के अलावा इसकी छपाई से जुड़े अफसर और कर्मचारियों को भी बाहर आने या फिर अपने सहयोगियों से मिलने की परमिशन नहीं होती। वित्त मंत्रालय में 10 दिनों के लिए डॉक्टरों की एक टीम सभी जरूरी सुविधाओं के लैस होकर तैनात रहती है, ताकि किसी भी कर्मचारी के बीमार पड़ने पर उसे वहीं पर मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
बजट बनाने के दौरान इंटरनेट नहीं चला सकते
बजट तैयार होने के दौरान आखिरी के 10 दिनों में इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी पाबंदी रहती है। जिन कंप्यूटरों पर बजट डॉक्यूमेंट मौजूद होता है, उनसे इंटरनेट और एनआईसी के सर्वर को डिलिंक कर दिया जाता है। इससे किसी भी प्रकार की हैकिंग का डर नहीं रहता है। कंप्यूटरों को केवल प्रिंटर और छपाई मशीन से कनेक्ट करके रखा जाता है। वित्त मंत्रालय के जिस हिस्से में प्रिंटिंग प्रेस स्थित है, वहां चुनिंदा सीनियर अफसरों को ही जाने की परमिशन होती है।
बजट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होने से लेकर संसद में इसके पेश होने तक वित्त मंत्रालय में खुफिया विभाग से लेकर के साइबर सिक्योरिटी सेल की निगरानी रहती है। इन दिनों में मंत्रालय के अंदर कोई भी मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है। केवल लैंडलाइन फोन के जरिए ही बातचीत हो पाती है।
बजट डिवीजन पर तैयार करने की जिम्मेदारी
वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन पर बजट को तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। यह डिवीजन सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षा बलों से अगले साल के लिए अपने खर्च के अनुमान बताने के लिए कहता है। इसके बाद फिर वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच तमाम मांगों औरल अनुमानों पर चर्चा होती है फिर बजट तैयार होता है।