DELHI. ऋषभ पंत अपनी मर्सिडीज कार खुद चलाकर होम टाउन रूड़की जा रहे थे। इसी दौरान झपकी आई और उनकी कार डिवाइडर से टकराकर दुर्घटना ग्रस्त हो गई। पंत को सिर और घुटने में गंभीर चोटें आईं हैं इसके अलावा पीठ और पैर के कुछ हिस्सों में भी चोटें आईं।
एक्सीडेंट के बाद सबसे पहले सुशील ही पंत के पास पहुंचे
पंत का यह एक्सीडेंट रुड़की के पास मोहम्मदपुर जाट एरिया में हुआ। इस हादसे के बाद एक बस ड्राइवर ने मसीहा बनकर ऋषभ पंत की जान बचाई। ड्राइवर ने सबसे पहले बस रोककर ऋषभ पंत को कार से दूर ले गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया। ऋषभ पंत अपनी मर्सिडीज कार खुद चलाकर होम टाउन रुड़की जा रहे थे। इसी दौरान झपकी आई और उनकी कार डिवाइडर से टकराकर दुर्घटना ग्रस्त हो गई। पंत ने खुद बताया कि वह विंड स्क्रीन तोड़कर बाहर आए। इसके बाद कार में भीषण आग लग गई थी। इस एक्सीडेंट के बाद सबसे पहले सुशील ही ऋषभ पंत के पास पहुंचे थे।
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हादसे के वक्त पीछे चल रही थी बस
हरिद्वार एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक, जिस वक्त गाड़ी में एक्सीडेंट हुआ, उस वक्त हरियाणा रोडवेज की बस उनके पीछे चल रही थी। चालक सुशील कुमार ने कार हादसा देखकर बस रोकी और 112 नंबर पर फोन कर सूचना दी। इसके बाद ऋषभ पंत को अस्पताल पहुंचाया गया। सुशील कुमार ने बताया कि 'मैं हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हूं, मैं हरिद्वार से आ रहा था। जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे 200 मीटर पहले मैंने देखा दिल्ली की तरफ से कार आई और करीब 60-70 की स्पीड में डिवाइडर से टकरा गई। टकराने के बाद कार हरिद्वार वाली लाइन पर आ गई। मैंने देखा कि अब बस भी टकरा जाएगी। हम किसी को बचा ही नहीं सकेंगे। क्योंकि मेरे पास 50 मीटर का ही फासला था। मैंने तुरंत सर्विस लाइन से हटाकर गाड़ी फर्स्ट लाइन में डाल दी। वो गाड़ी सेंकड लाइन में निकल गई। मेरी गाड़ी 50-60 की स्पीड में थी मैंने तुरंत ब्रेक लगाया और खिड़की साइड से कूदकर गया।'
कार से दूर ले जाकर चादर लपेटा
बस ड्राइवर सुशील कुमार ने बताया, 'मैंने देखा वो आदमी (ऋषभ पंत) जमीन पर पड़ा था। मुझे लगा वो बचेगा ही नहीं, कार में चिंगारियां निकल रही थीं। उसके पास ही वो (पंत) पड़ा था। हमने उसे उठाया और कार से दूर किया। मैंने उससे पूछा- कोई और है कार के अंदर, वो बोला मैं अकेला ही था, फिर उसी ने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं। मैं क्रिकेट के बारे में इतना जानता नहीं, उसे साइड में खड़ा किया, उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे, तो हमने अपनी चादर में उसे लपेट दिया।'