मुंबई में घर खरीदने के लिए करना होगा 109 साल तक काम, जानिए देश के दूसरे बड़े शहरों का क्या है हाल

भारत के प्रमुख शहरों में, यहां तक कि उच्चतम आय वाले लोग भी घर खरीदने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। मुंबई, गुड़गांव, और दिल्ली में यह समस्या और गंभीर हो गई है। इस लेख में हम इस चुनौती का विश्लेषण करेंगे और समाधान की संभावना पर चर्चा करेंगे।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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भारत के प्रमुख महानगरों में हाई इनकम वाले लोग भी घर खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालिया आंकड़े यह बताते हैं कि मुंबई में टॉप 5 परसेंट इनकम वाले लोगों को घर खरीदने के लिए लगभग 109 साल तक काम करना पड़ेगा।

इसी तरह, गुड़गांव में यह आंकड़ा 64 साल, दिल्ली में 35 साल और बेंगलुरू में 36 साल है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि घर का मालिक होना अब केवल गरीबों के लिए नहीं, बल्कि अमीरों के लिए भी कठिन हो गया है। नेशनल हाउसिंग बोर्ड (NHB) के आंकड़ों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है।

मुंबई में घर खरीदने करना होगी 109 साल बचत

नेशनल हाउसिंग बोर्ड (NHB) के आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र के महानगरीय 5% शहरी परिवारों का मासिक खर्च ₹22,352 है। जिसका मतलब है कि एक परिवार की सालाना आय लगभग ₹10.7 लाख होती है। इस आंकड़े से यह भी स्पष्ट होता है कि इन परिवारों को घर खरीदने के लिए अपनी पूरी आय का एक बड़ा हिस्सा बचाना पड़ता है, फिर भी घर खरीदने के लिए उन्हें कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। मुंबई में औसत घर की कीमत ₹3.54 करोड़ है, और इसे खरीदने के लिए इन परिवारों को 109 साल की बचत करनी पड़ेगी। 

 

City Value 1 Value 2 Value 3
Maharashtra-Mumbai 10.7 3.2 354
Haryana-Gurugram 11.7 3.5 226
Odisha-Bhubneshwar 7.5 2.3 120
Bihar-Patna 6.0 1.8 81
West Bengal-Kolkata 8.2 2.5 97
Gujarat-Ahmedabad 8.1 2.5 94
Tamil Nadu-Chennai 10.2 3.1 113
Karnataka-Bengaluru 10.4 3.2 115
Delhi-Delhi 12.7 3.8 135
Uttar Pradesh-Lucknow 7.9 2.4 79
Uttarakhand-Dehradun 9.4 2.8 84
Jharkhand-Ranchi 7.7 2.3 68
Assam-Guwahati 8.8 2.6 73
Kerala-Thiruvananthapuram 10.9 3.3 87
Madhya Pradesh-Bhopal 7.2 2.2 57
Andhra Pradesh-Vizag 8.7 2.6 67

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टीयर वन की जगह टीयर टू टाउन में घर खरीदना आसान

नेशनल हाउसिंग बोर्ड के आंकडे बताते है कि देश के चार प्रमुख महानगरों जिन्हें टीयर वन में रखा गया है में घर खरीदना कापफी मुश्किल हो गया है। इसके विपरीत टीयर टू व थ्री में अभी भी स्वयं का घर खरीदना मध्यम वर्ग के लिए संभव है। टीयर वन में जहां मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, चैन्नई, बैगलुरू जैसे शहर है। टीयर टू में अहमदाबाद, इंदौर, पूना, प्रयागराज, लखनउ, जैसे शहर आते है। यहां इएमआई अनुपात भी बदल रहा है। 

EMI-आय अनुपात का महत्व 

EMI-आय अनुपात किसी व्यक्ति की ऋण की किस्त भरने की क्षमता दर्शाता है। EMI-आय अनुपात यह मापता है कि आपकी मासिक आय का कितना हिस्सा घर के ऋण की किस्तों पर जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका मासिक वेतन ₹1 लाख है और आप ₹30,000 EMI चुकाते हैं, तो आपका EMI-आय अनुपात 30% होगा। मुंबई में यह अनुपात 48% है, जो कि घर खरीदने की स्थिति को और कठिन बना देता है। इसके विपरीत, अहमदाबाद जैसे शहरों में यह अनुपात केवल 18% है, जिससे वहां घर खरीदना थोड़ा अधिक सुलभ है। 

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बडे शहरों में घर खरीदना मुश्किल पर असंभव नहीं 

एनएचबी के आंकडे़ डराने वाले अवश्य है, लेकिन महानगरों में घर खरीदने के लिए अभी भी कई उपाए है जिनसे घर खरीदना संभव है। वाइज फिनसर्व की COO चारू पाहुजा के अनुसार महानगरों में घर खरीदने के लिए लंबी प्लानिंग और कुछ सेक्रीफाइज करने पड़ सकते है। उन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्यों को सामुहिक प्लानिंग करना पड़ सकती है, लोन की अवधि लंबी की जा सकती है, व न्यू डवलप एरिया का चुनाव किया जा सकता है। 

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