कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश की आप्रवासन नीति ( immigration policy ) में बड़े बदलाव की घोषणा की है। ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि 2025-2027 आप्रवासन स्तर की योजना अस्थायी रूप से अस्थायी निवासियों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विदेशी श्रमिकों की संख्या को नियंत्रित करेगी, ताकि कनाडा की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक गति दी जा सके।
बता दें कि कनाडा में भारतीय लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, खासकर के पंजाब से। विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना से भारतीय लोगों और छात्रों पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यहां से हजारों की संख्या में छात्र पढ़ाई करने के लिए कनाडा जाते हैं। वहीं अपने आधिकारिक बयान में प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि आप्रवासन कनाडा के इतिहास में एक अहम हिस्सा है। आप्रवासन को अस्थायी रूप से कम करने का निर्णय एक व्यावहारिक निर्णय है, जो वर्तमान आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया गया है।
कनाडाई मंत्री ने क्या कहा?
इस योजना के जरिए स्थायी निवासियों के लिए लक्ष्य कम कर दिए गए हैं। कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि स्थायी निवासियों की संख्या 2025 में 3 लाख 95,000, 2026 में 3 लाख 80,000 और 2027 में 3 लाख 65,000 होगी। इसके साथ ही अस्थायी निवासियों की संख्या को कनाडा की आबादी के 5 प्रतिशत तक सीमित करने का भी फैसला किया गया है। मंत्री मिलर ने आगे कहा कि 2025 और 2026 में अस्थायी आबादी में कमी आएगी। हालांकि, साल 2027 में इसमें मामूली वृद्धि देखी जाएगी।
मिलर ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और अस्थायी विदेशी श्रमिकों पर सख्त पात्रता आवश्यकताएं लागू की गई हैं, जिससे अस्थायी निवासी कार्यक्रमों की मात्रा कम हो जाएगी और गुणवत्ता में सुधार होगा।
भविष्य को देखते हुए फैसला
ट्रूडो सरकार ने अन्य उपायों की भी घोषणा की, जैसे कि कनाडा में पहले से रह रहे अस्थायी निवासियों को स्थायी निवासियों में परिवर्तित करना और स्वास्थ्य और व्यवसाय जैसे प्रमुख श्रम बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना, साथ ही फ्रैंकोफोन समुदायों का समर्थन करना।
साल 2025 में फ्रैंकोफोन आप्रवासन का टारगेट 8.5%, 2026 में 9.5% और 2027 में 10% रखा गया है, जो कनाडा की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा करते हैं। कनाडा की नई इमिग्रेशन योजना दीर्घकालिक आर्थिक विकास और स्थिरता पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने अस्थायी और स्थायी निवासियों के बीच संतुलन पर जोर देते हुए मौजूदा आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
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