पब्लिक के सामने जातिसूचक टिप्पणी पर बनेगा केस,  एससी-एसटी एक्ट से जुड़े केस पर सुप्रीम कोर्ट

यदि आपने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल पब्लिक के सामने किया तो तब भी आप पर केस बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है...

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Sandeep Kumar
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आपने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल पब्लिक के सामने किया तो तब भी आप पर केस बन सकता है। ये हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश की शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि जातिसूचक टिप्पणी जब पब्लिक के सामने होगी, तभी एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला बनेगा।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

एससी-एसटी एक्ट (SC-ST Act ) से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा, जातिसूचक टिप्पणी जब पब्लिक के सामने होगी, तभी एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला बनेगा। इससे जुड़ा एक केस सबसे पहले लोवर कोर्ट में पहुंचा था, वहां से अर्जी खारिज कर दी गई थी। फिर केस हाईकोर्ट में पहुंचा, तो FIR के आदेश जारी कर दिए गए। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए ये फैसला दिया।

जस्टिस एमएम सुंदरेश बेंच की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर मामले में आरोप स्पष्ट नहीं है और अपराध के लिए जो फैक्ट होने चाहिए उस बारे में डिटेल नहीं है तो ऐसे मामले में केस दर्ज कर छानबीन का आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एससी-एसटी एक्ट की धारा-3 कहती है कि जानबूझकर विक्टिम को जाति के आधार पर अपमानित किया गया है और ये पब्लिक के सामने हुआ हो, जबकि जो केस अभी सामने आया है, उसमें पब्लिक के सामने टिप्पणी नहीं हुई है। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट के FIR दर्ज करने के आदेश को खारिज किया जाता है।

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