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DELHI. बुखार (fever) के इलाज में काम आने वाली दवा डोलो कोरोना महामारी की शुरुआत से लगातार चर्चा में है। कोरोना महामारी के दौरान डोलो की बिक्री में बंपर तेजी देखने को मिली थी। हर किसी को डॉक्टर डोलो-650 दवा लिख रहे थे और लोग बड़े पैमाने पर इसका सेवन कर रहे थे। उस दौरान डोलो-650 (dolo-650) को भारतीयों का पसंदीदा स्नैक्स (Snacks) बताया जाने लग गया था। अब एक बार फिर से यह दवा और इसे बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड (Micro Labs Ltd.) चर्चा में है। दरअसल अब इस बात की कलई खुल रही है कि क्यों डॉक्टर हर किसी को यह दवा लिख रहे थे।
यह है पूरा मामला
बुखार होने पर आप डॉक्टर को दिखाते होंगे। अधिकतर डॉक्टर (Doctor) इसके इलाज की दवाओं में 'Dolo-650' नाम की दवा जरूर लिखते हैं। कई लोगों को इससे फायदा भी होता है। कंपनी के दावे अनुसार यह दवा बुखार के लिए अत्यंत कारगार है। लेकिन अब इस दवा को बनाने वाले मुश्किल में हैं। अब कंपनी को डोलो-650 की वजह से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा। दरअसल एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पीआईएल दायर कर कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने Dolo टैबलेट बनाने वाली चर्चित फार्मा कंपनी द्वारा बुखार के इलाज के लिए डोलो 650 मिग्रा का नुस्खा लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए तक के मुफ्त गिफ्ट बांटे हैं। सुनवाई के दौरान सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज (Central Board of Direct Taxes) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार 'डोलो कंपनी ने डोलो-650 दवा लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा के उपहार दिए।'
कंपनी डॉक्टरों को इसलिए देती थी दवा
याचिकाकर्ता ‘फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख और वकील अपर्णा भट ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और जस्टिस एएस बोपन्ना (AS Bopanna) की पीठ को बताया कि 500MG तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली के तहत नियंत्रित होता है। उन्होंने बताया कि लेकिन 500MG से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता फार्मा कंपनी द्वारा तय की जाती है। उन्होंने दलील दी कि ज्यादा फायदा हासिल करने के लिए कंपनी ने Dolo-650 मिग्रा टैबलेट के नुस्खे लिखने के लिए डॉक्टरों को गिफ्ट दिए। ताकी डॉक्टर मरीजों को ये दवा बांटे, जिससे कंपनी को फायदा होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- ‘आप जो कह रहे हैं वह सुनने में सुखद लगता है। यही दवा है जो मैंने कोविड होने पर ली थी। यह एक गंभीर मुद्दा है और हम इस पर गौर करेंगे।’
सरकार से मांगा जवाब
इस मामले में सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से ASG केएम नटराज पेश हुए। कोर्ट ने याचिका में रखी गई मांगों पर केंद्र सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की सुनवाई 10 दिन के बाद हो सकती है।
कोरोना काल में 567 करोड़ की दवा बेची
जीसी सुराना ने साल 1973 में दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड की शुरुआत की थी। इस कंपनी में अभी करीब 9,200 कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी का सालाना टर्नओवर पिछले साल 2,700 करोड़ रुपए रहा था। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बेंगलुरु स्थित दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड के 9 राज्यों के 36 परिसरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद एजेंसी (सीबीडीटी) ने दवा किया था कि कंपनी ने 300 करोड़ रुपए की कर चोरी की है। कंपनी का कारोबार 50 से ज्यादा देशों में फैला है। कंपनी पहली बार उस समय विवादों के घेरे में आई, जब आयकर विभाग ने 6 जुलाई को छापा मारा था। आयकर विभाग को छापे के दौरान 1.20 करोड़ रुपए के अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रुपए के गहने भी मिले थे। डोलो-650 की कीमत बहुत ज्यादा नहीं है। अभी इसके 15 टैबलेट वाले एक पत्ते की कीमत करीब 31 रुपए है। इसके बाद भी डोलो-650 ने कंपनी को रिकॉर्ड तोड़ कमाई करा दी थी। साल 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत होने के बाद डोलो-650 के 350 करोड़ टैबलेट बिक गए थे। कंपनी ने कोरोना काल में सिर्फ डोलो-650 की ही 567 करोड़ रुपए की बिक्री कर दी थी।