जाति की राजनीति के खिलाफ थे राजीव गांधी, आज राहुल उसी की कर रहे पैरवी

राहुल गांधी बार-बार जाति के अधिकारी की बात कर रहे हैं, लेकिन राजीव गांधी इसके कितने विरोधी थे, इसका एक प्रमाण 1985 में दिए गए इंटरव्यू से मिलता है।

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Ravi Kant Dixit
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New Delhi : देश में जाति पर नई बहस छिड़ी हुई है। पक्ष-विपक्ष दोनों ओर से बयानों के तीर चल रहे हैं। देशभर में तीन दिन से इस मुद्दे पर भारी हंगामा मचा हुआ है। इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का एक इंटरव्यू सामने आया है, जिसमें साफ है कि वे जाति की राजनीति के विरोधी थे।

देश में छिड़ी जाति की राजनीति

3 मार्च 1985 को वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने राजीव गांधी का यह इंटरव्यू लिया था। आपको बता दें कि आलोक जी 'द सूत्र' के एडिटोरियल बोर्ड मेंबर हैं। देश में छिड़ी जाति की राजनीति के बीच वे कहते हैं, राहुल गांधी बार-बार जाति के अधिकारी की बात कर रहे हैं, लेकिन राजीव गांधी इसके कितने विरोधी थे, इसका एक प्रमाण मुझे 1985 में दिए गए इंटरव्यू से मिलता है। यदि सबको अच्छी शिक्षा मिले तो हर जाति धर्म के लोग आगे बढ़ेंगे।

दरअसल, यह पूरा माजरा समझने के लिए आपको तीन दिन पीछे चलना होगा। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में 29 जुलाई को बजट के पहले वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी पर सवाल उठाए थे। उस वक्त की फोटो दिखाते हुए उन्होंने सवाल किया था कि इसमें एक भी आदिवासी, दलित या पिछड़ा वर्ग का अधिकारी नहीं दिख रहा है। 20 अफसरों ने बजट तैयार किया है। इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि हलवा बांटने की परंपरा यूपीए की सरकार में शुरू हुई थी, तब किसी ने यह सवाल नहीं उठाया कि बजट बनाने वाले अफसरों में कौन किस जाति का है।

CM Mohan Yadav

अब जाति को लेकर राजीव गांधी क्या सोचते थे, पढ़िए आलोक मेहता का 39 वर्ष पहले का इंटरव्यू...

इंटरव्यू के संपादित अंश...राजीव गांधी साफ तौर मानते थे कि आरक्षण के नाम पर बुद्धुओं को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। आलोक मेहता से बातचीत में उन्होंने कहा था कि संविधान बनाते समय पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की गई, पिछले वर्षों के दौरान उसका बहुत राजनीतिकरण हो गया है, इसलिए अब समय आ गया है कि इन सारे प्रावधानों पर नए सिरे से विचार हो। वास्तव में दबे और पिछड़े लोगों को यह सुविधा और सहायता दी जाए, लेकिन इसका विस्तार कर विभिन्न क्षेत्रों में बुद्धुओं को बढ़ाने से पूरे देश को नुकसान होगा।

जब आलोक मेहता ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से पूछा था कि चुनाव के बाद आप सामाजिक और आर्थिक जीवन में सफाई के कड़े कदम उठाने वाले हैं, लेकिन इस अभियान से इमरजेंसी की तरह अधिकारियों को अपनी मनमानी करने से रोकने के लिए क्या कोई उपाय आपने सोच रखा है?

इसके जवाब में राजीव गांधी ने कहा था, देखिए अगर किसी पर कोई प्रामाणिक आरोप सामने आए तो हम निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे, लेकिन हवा में बात करने से कोई फायदा नहीं हो सकता। केवल राजनीतिक काम के लिए लगाए गए झूठे आरोपों पर कार्रवाई नहीं हो सकती है। 

आज के संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार मेहता क्या कहते हैं? जानिए...

सवाल: आपने आरक्षण पर राजीव गांधी का इंटरव्यू लिया था? अब आपने जाति पर राहुल गांधी का रुख देखा है, दोनों विचार एक साथ कैसे टिकते हैं?

आलोक मेहता: मैंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों को करीब से देखा है। मुझे लगता है, राजीव गांधी बहुत आधुनिक व्यक्ति थे। मैंने हाल ही में संसद में बोलते हुए राहुल गांधी को सुना और पहले भी उन्हें रायबरेली में सुन चुका हूं। मुझे बुरा लगा। उन्हें (राहुल) को लगता है कि जाति की राजनीति काम करेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। सत्ता हासिल करने के लिए उनकी (राहुल की) राजनीति का बिल्कुल अलग ब्रांड है। राजीव बिल्कुल अलग इंसान थे। मुझे लगता है, राहुल या तो भ्रमित हैं या कम्युनिस्ट बनना चाहते हैं।

सवाल: राजनीति का यह ब्रांड हमारे देश को कहां ले जाता है?

आलोक मेहता: मुझे उनसे (राहुल) सहानुभूति है। इससे उन्हें तात्कालिक रूप से राजनीतिक तौर पर तो मदद मिल सकती है, लेकिन इससे देश को नुकसान होगा। देखिए, मैं उस धर्म आधारित कट्टरता के भी खिलाफ हूं, जो आप हमारे देश में देखते हैं। मैं जबरदस्त जातिवादी राजनीति के भी खिलाफ हूं। यदि जाति की राजनीति को मजबूत करना है तो मेरे हिसाब से राहुल गांधी या तेजस्वी यादव की तुलना में अखिलेश यादव कहीं अधिक सक्षम हैं।

सवाल: वित्त मंत्री ने आपके साक्षात्कार के बारे में बात की है?

आलोक मेहता: मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन लोगों को वह इंटरव्यू पढ़ना चाहिए। आमजन को राजीव गांधी के विचार दिखाए जाने चाहिए और इसके बारे में बात की जानी चाहिए।

सवाल: आप राहुल गांधी के राजनीतिक ब्रांड के बारे में बार-बार कह रहे हैं, क्या है वह?

आलोक मेहता: मैं उनकी राजनीति में कम्युनिज्म के साथ जातिगत राजनीति का तालमेल देखता हूं। जब नरसिम्हा राव चीन गए थे, तब मैंने उनके साथ यात्रा की। आज चीन भी अलग है, लेकिन वह कम्युनिज्म और राजनीति के एक ब्रांड का अनुसरण कर रहे हैं, जो श्रमिक आंदोलन में विकसित होता है। दूसरी ओर राहुल, लालू प्रसाद यादव जैसे राजनीति के सबसे भ्रष्ट व्यक्ति के साथ हैं। वे अक्सर आरएसएस के बारे में बात करते रहते हैं, क्या उन्हें पता है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने मध्यप्रदेश में आरएसएस के प्रवेश को कैसे सुगम बनाया? राहुल गांधी आज जयराम रमेश की बात सुनते हैं, जो चुनाव लड़कर जीत नहीं सकते। इस देश की जनता आधुनिक भारत चाहती है।

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