भारत में 196 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल, CDSCO की जांच में बड़ा खुलासा

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है। इसकी जांच रिपोर्ट में विभिन्न दवा कंपनियों की 196 दवाओं के सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए हैं।

author-image
Abhilasha Saksena Chakraborty
New Update
196 medicines failed in quality test
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा अप्रैल 2025 में की गई दवा जांच ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 3000 सैंपल में से 196 सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए। यह जांच हर महीने देशभर की विभिन्न दवा कंपनियों से सैंपल इकट्ठा कर की जाती है, ताकि बाजार में मौजूद दवाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके। रिपोर्ट में एक सैंपल बिहार से नकली भी पाया गया है, जो मरीजों की सेहत के लिए गंभीर खतरा है।

क्या है NSQ

NSQ यानी Not of Standard Quality, का मतलब यह है कि संबंधित दवाएं पूरी तरह से असफल नहीं हैं, लेकिन वे तय गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरतीं।
ऐसी दवाओं से बीमारी का इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता और यह मरीज के स्वास्थ्य पर साइड इफेक्ट्स भी डाल सकती हैं।

कौन-कौन सी दवाएं शामिल हैं फेल लिस्ट में?

CDSCO द्वारा फेल घोषित की गई  लिस्ट में रोजमर्रा की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवाइयां शामिल हैं:

  • पैरासिटामोल 500mg (Paracetamol 500mg)
  • ग्लिमेपिराइड (Glimiperide – Diabetes)
  • टेल्मिसर्टन (Telmisartan – Blood Pressure)
  • मेट्रोनिडाजोल (Metronidazole – Infections)
  • पैन-डी (Pan-D – Acidity)
  • सेपोडेम XP 50 (Cepodem XP 50 – Pediatric use
  • शेल्कल 500 (Shelcal 500 – Calcium supplement)

इन दवाओं का निर्माण Hindustan Antibiotics, Alkem, Hetero Drugs, Karnataka Antibiotics जैसी नामी कंपनियों ने किया था।

हिमाचल की दवा इकाइयों पर भी सवाल

इस रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश की दवा कंपनियां भी रडार पर आ गई हैं।
57 फेल दवाएं हिमाचल में बनीं थीं, जो दर्शाता है कि गुणवत्ता नियंत्रण में बड़ी खामियां हैं।हिमाचल को “फार्मा हब” कहा जाता है, ऐसे में यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है।

क्यों चिंताजनक हैं फेल और नकली दवाएं?

  • मरीज की बीमारी का इलाज सही नहीं होता
  • साइड इफेक्ट्स या एलर्जी की संभावना बढ़ती है
  • नकली दवाएं जानलेवा साबित हो सकती है
  • सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर

दवाइयों का क्वालिटी टेस्ट: क्या होगा असर 

  • CDSCO ने सभी फेल दवा बैचों को बाजार से हटाने के निर्देश दिए हैं।
  • इसके अलावा संबंधित कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
  • सभी राज्य औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत संबंधित स्टॉकिस्ट और डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क कर इन बैचों की बिक्री रोकें।

    2014 में मौत के बाद बड़ा एक्शन

    2014 में बिहार में एक मरीज की मौत घटिया दवा के कारण हो गई थी। उसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कंपनियों की दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था।
    लेकिन समय बीतने के साथ गुणवत्ता जांच का स्तर फिर कमजोर होता नजर आ रहा है।

    CDSCO की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में दवा गुणवत्ता को लेकर अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
    196 क्वालिटी टेस्ट फेल और एक नकली सैंपल यह दर्शाते हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह एक गंभीर खतरा है।
    सरकार को अब फार्मा कंपनियों पर सख्त निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी ताकि मरीजों की जान से खिलवाड़ न हो सके।

    thesootr links

    द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

दवाइयां केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन पैरासिटामोल दवाइयों का क्वालिटी टेस्ट नकली दवाएं