NEW DELHI. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को चंद्रयान-3 की चौथी ऑर्बिट रेजिंग प्रोसेस सक्सेसफुली पूरी की। चंद्रयान अभी 71351 x 233 Km की ऑर्बिट है। इसका मतलब है कि चंद्रयान-3 ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, जो पृथ्वी से सबसे करीब 233 Km और सबसे दूर 71351 Km है। इससे पहले 18 जुलाई को ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km किया गया था।
23 तारीख को ये चंद्रमा पर लैंड करेगा
ऑर्बिट बढ़ाने के लिए पांचवीं और आखिरी अर्थ बाउंड इंजन फायरिंग 25 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच प्लान की गई है। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि स्लिंग शॉट के जरिए पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। 5 तारीख को चंद्रमा की ग्रैविटी स्पेसक्राफ्ट को कैप्चर करेगी। 23 तारीख को ये चंद्रमा पर लैंड करेगा।
लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
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चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
- 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36500 km के ऑर्बिट में छोड़ा गया।
15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41762 km x 173 km किया गया।
17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41603 km x 226 km किया गया।
18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km किया गया।
20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71351 x 233 Km किया गया।
25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाया जाएगा। फिर यान चांद की तरफ निकलेगा।