चंद्रयान-3 को रॉकेट से जोड़ा, यान में होंगे तीन माड्यूल, जानें कब होगा लॉन्च

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Pratibha Rana
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चंद्रयान-3 को रॉकेट से जोड़ा, यान में होंगे तीन माड्यूल, जानें कब होगा लॉन्च

Bangalore. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। अभियान पर रवाना होने के लिए तैयार यान को बुधवार ( 5 जुलाई) को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में राकेट से जोड़ दिया गया। इस यान को इसरो अपने रॉकेट एलवीएम-3 (लांच व्हीकल मार्क-3) की मदद से लॉन्च करेगा। यह अभियान चंद्रयान-2 का ही विस्तार होगा। इसमें चांद की सतह पर लैंडर और रोवर को उतारा जाएगा।





मौसम ने साथ दिया तो 13 जुलाई होगा लॉन्च





इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 को 13 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। वैसे तैयारियां 13 जुलाई के हिसाब से ही की जा रही हैं। मौसम आदि को ध्यान में रखते हुए अभियान के लिए अतिरिक्त दिन रखे गए हैं। यान में कई वैज्ञानिक उपकरण होंगे, जो चांद की सतह का अध्ययन करेंगे। इस साल मार्च में इस यान के जरूरी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए थे। इसमें चांद पर लॉन्चिंग के दौरान यान के समक्ष आ सकने वाली संभावित परिस्थितियों का आकलन किया गया था।





चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने के तीन माड्यूल होंगे- प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर 







  • प्रोपल्शन माड्यूल में स्पेक्ट्रो पोलेरिमेट्री आफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (शेप) पेलोड होगा। यह चांद की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेगा। 



  • लैंडर में चांद की सतह व वातावरण के अध्ययन के लिए तीन पेलोड होंगे। साथ ही इसके साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक पेलोड जाएगा। 


  • रोवर में दो पेलोड होंगे, जो लैंडिंग साइट के आसपास का अध्ययन करेंगे। प्रोपल्शन माड्यूल चांद की सतह से 100 किलोमीटर दूर से लैंडर-रोवर को छोड़ देगा। इसके बाद लैंडर अपने साथ रोवर को लेकर चांद की सतह पर लैंड करेगा और वहां रोवर उससे अलग हो जाएगा।






  • अब पढ़िए चंद्रयान-3 क्या है …





    चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद की स्टडी करना चाहता है। भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सक्सेसफुल लॉन्चिग की थी। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली। अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी।





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    रूसी मिशन स्थगित, इसरो के पास पहले लैंडिंग का मौका





    इधर, रूस ने अपना मून लैंडर मिशन स्थगित कर दिया है। ऐसा ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एडिशनल चेक्स पूरे न होने की वजह से किया गया है। इससे पहले 2022 में भी रूसी मिशन तकनीकी दिक्कतों की वजह से टाला गया था। ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 के पास रूस से पहले चंद्रमा पर उतरने का मौका है।





    इसरो चीफ बोले- हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा





    इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान -2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे।



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