चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: निकाला 20 साल पुरानी डुप्लीकेट वोटर कार्ड समस्या का हल!

भारतीय चुनाव आयोग ने लगभग 20 साल पुरानी समान EPIC संख्या की समस्या का समाधान कर दिया। पुराने मतदाता पहचान पत्र धारकों को अब नए कार्ड जारी किए गए हैं।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Election commission solved EPIC number problem
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भारत में मतदाता पहचान पत्र सूची में गड़बड़ियों की समस्या बहुत लंबे समय से चली आ रही है। लेकिन, अब चुनाव आयोग ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। यह समस्या 2005 से उस समय शुरू हुई थी जब विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में एक जैसी अल्फान्यूमेरिक श्रृंखलाएं उपयोग की जा रही थीं। इन श्रृंखलाओं के कारण कई बार एक जैसी इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिफिकेशन कार्ड (EPIC) संख्या वाले मतदाता अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और मतदान केंद्रों में पाए गए। अब, भारतीय चुनाव आयोग ने इस पुरानी समस्या का समाधान कर दिया है और उन मतदाताओं को नए नंबरों वाले नए EPIC कार्ड जारी किए गए हैं।

क्षेत्र स्तर पर सत्यापन 

ECI द्वारा किए गए क्षेत्र स्तरीय सत्यापन के दौरान पाया गया कि जिन मतदाताओं के पास समान चुनाव फोटो पहचान पत्र (EPIC) संख्या थी, वे अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और मतदान केंद्रों में वास्तविक मतदाता थे। इस सत्यापन प्रक्रिया में 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEO) और 4123 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) ने देशभर के 10.50 लाख मतदान केंद्रों पर 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के चुनावी डेटाबेस का पुनः परीक्षण किया। इस दौरान लगभग 4 मतदान केंद्रों में 1 समान EPIC संख्या पाई गई। सभी प्रभावित मतदाताओं को नए नंबर वाले EPIC कार्ड जारी किए गए हैं।

क्यों पायी गई समानता

इस समस्या की शुरुआत 2005 में हुई थी, जब विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अलग-अलग अल्फान्यूमेरिक श्रृंखलाओं का उपयोग कर रहे थे। 2008 में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद इन श्रृंखलाओं को बदलने की आवश्यकता पड़ी, लेकिन कुछ विधानसभा क्षेत्रों ने गलती से पुरानी श्रृंखला का उपयोग किया। इसके कारण EPIC संख्याओं में समानता पाई गई।

चुनाव परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं

समान EPIC संख्या होने से किसी भी मतदाता के चुनाव परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ा। क्योंकि प्रत्येक मतदाता का नाम उसी मतदान केंद्र की सूची में था, जहां वह वास्तविक रूप से रहता था। समान EPIC संख्या वाले व्यक्तियों को दूसरे मतदान केंद्रों पर वोट डालने की अनुमति नहीं थी, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित नहीं हुए।

भारतीय चुनाव आयोग ने एक प्रभावी कदम उठाते हुए इस समस्या का समाधान किया है, जिससे मतदाता पहचान पत्र प्रणाली और भी सटीक और सुरक्षित बन गई है। इस कार्यवाही से चुनाव प्रक्रिया में सुधार हुआ है, और अब सभी मतदाता को सही और अद्वितीय पहचान पत्र प्राप्त होगा।

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