नई दिल्ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना (CJI N. V. Ramana) ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने 18 सितंबर को एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान कहा कि 'देश में अब भी गुलामी के दौर की न्याय व्यवस्था (judicial system) कायम है। शायद देश की जनता के लिए यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि 'न्यायालयों को वादी-केंद्रित होने की आवश्यकता है और न्याय देनी की व्यवस्था का सरल कैसे हो? यह हमारे लिए एक प्रमुख चिंता का विषय होना चाहिए।'
ग्रामीणों को अंग्रेजी की कार्यवाही में दिक्तत होती है
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोग अंग्रेजी में होने वाली कानूनी कार्यवाही को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे बर्बाद करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी न्याय व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का होता है। कोर्ट की कार्यवाही पारदर्शी और जवाबदेही भरी होनी चाहिए। जजों और वकीलों का कर्तव्य है कि वे ऐसा माहौल तैयार करें जो आरामदायक हो।
न्यायप्रणाली को स्थानीय बनाने की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि जब मैं भारतीयकरण कहता हूं, तो मेरा मतलब है कि हमारे समाज की व्यावहारिक वास्तविकताओं के अनुकूल होने और हमारी न्याय प्रणाली को स्थानीय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी को कोर्ट और जज से डर नहीं लगना चाहिए।