JAIPUR. राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐसा दावा किया है कि 2020 में सरकार को गिरने से बचाने में बीजेपी नेता वसुंधरा राजे सहित 2 नेताओं ने उनकी मदद की है। हालांकि, वसुंधरा राजे ने उनके दावों का खंडन करते हुए कहा कि मेरे खिलाफ गहलोत का बयान एक साजिश है। गहलोत ने जितना अपमान किया है, उतना कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता। वह 2023 के विधानसभा चुनाव हारने के डर से झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने इस तरह के झूठे आरोप लगाए हैं। अपनी ही पार्टी में बगावत से बौखलाए हुए हैं। दरअसल, कांग्रेस के भीतर प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधते हुए, सीएम अशोक गहलोत ने 7 मई रविवार को राजे और 2 अन्य बीजेपी नेताओं को उस संकट को टालने में मदद करने का श्रेय दिया।
वसुंधरा को बताया 'संकट मोचन'
रविवार को सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश पूर्व सीएम और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे को कांग्रेस सरकार के लिए 'संकट मोचक' बताया। अशोक गहलोत ने दावा किया कि 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के वक्त वसुंधरा राजे और बीजेपी नेता कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार बचाई थी। गहलोत ने कहा, 'राजे और मेघवाल ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी कि उन्हें उन लोगों का समर्थन नहीं करना चाहिए। यही वजह है कि हमारी सरकार बच गई। मैं घटना को कभी नहीं भूलूंगा।'
विधायकों को बांटे करोड़ों रूपए
अशोक गहलोत ने एक बार फिर सचिन पायलट खेमे पर बीजेपी से करोड़ों रुपए लेने का आरोप लगाया। उन्होंने धौलपुर के राजाखेड़ा के पास महंगाई राहत कैंप की सभा में कहा कि, उस वक्त हमारे विधायकों को 10 से 20 करोड़ बांटा गया। अपीली अंदाज में कहा- वह पैसा अमित शाह को वापस लौटा दें। साथ ही सीएम ने यह भी कहा, अगर आपने उनमें से कुछ खर्च कर दिया है मुझसे ले लें, लेकिन पैसे वापस कर दें।
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2020 में घटी थी ये घटना
राजस्थान विधानसभा 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 11 जुलाई, 2020 को तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और यहां उन्हें अपनी ही पार्टी के 19 विधायकों का साथ मिला। इन विधायकों के साथ पायलट गुरुग्राम के मानेसर स्थित रिजॉर्ट में पहुंच गए। 12 जुलाई को पायलट ने अशोक गहलोत सरकार के अल्पमत में आ जाने का ऐलान कर दिया और सरकार को गिराने के संकेत देने लगे। वहीं, गहलोत के समर्थन में 80 से अधिक विधायक जयपुर के एक होटल में शिफ्ट किए गए।
ये विधायक हुए बागी
विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, भंवरलाल शर्मा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, हेमाराम चौधरी, गजेंद्र सिंह शक्तावत, रामनिवास गावड़िया, इंद्रराज गुर्जर, गजराज खटाणा, राकेश पारीक, मुरारीलाल मीणा, पीआर मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, मुकेश भाकर, हरीश मीणा, बृजेंद्र ओला, अमर सिंह
बगावत की वजह।
जब पुलिस ने भेजा नोटिस
2020 में सचिन पायलट की बगावत की वजह राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के एक नोटिस को बताया गया। जिसे विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में भेजा गया था। पायलट गुट ने आरोप लगाया कि गहलोत के इशारे पर यह नोटिस भेजा गया। सचिन पायलट ने ये भी आरोप लगाया था कि सरकार में होते हुए भी उनकी बातों को अहमियत नहीं दी जा रही है। 14 जुलाई को पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चले पायलट
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के कांग्रेस की सरकार बनी थी। उस दौरान प्रदेश में 2020 के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच कयासबाजी शुरू हो गई थी। जिसके बाद राजस्थान में पायलट भी सिंधिया की राह में चलने लगे थे। पायलट की बगावत के बाद कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमला करने लगी और 'हॉर्स ट्रेडिंग' का आरोप लगाने लगी। वहीं, बीजेपी भी पलटवार करने लगी। जब यह पूरा घटनाक्रम हो रहा था तो वसुंधरा राजे ने चुप्पी साध ली थी, जिसके कई मायने भी निकाले गए।
पायलट को नहीं करेंगी बर्दाश्त
राजस्थान में गहलोत से बगावत के बाद भी चुप्पी के जरिए वसुंधरा ने आलाकमान को साफ संदेश दे दिया। वह सचिन पायलट को किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं करेंगी। राजस्थान के सियासी हल्कों में माना जाता है कि भले ही गहलोत और राजे अलग-अलग पार्टी में हों, लेकिन दोनों के बीच अच्छी दोस्ती है। करीब एक महीने तक चला और बगावत के इस खेल में अशोक गहलोत ने गांधी परिवार को भरोसे में लेते हुए विधायकों को एकजुट कर लिया। इतना ही नहीं दूसरे दलों तथा अन्य विधायकों को भी अपने पाले में खड़ा कर दिया।
एक महीने बाद गहलोत ने साबित किया था बहुमत
अगस्त 2020 के दूसरे सप्ताह में सचिन पायलट की प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई। कई मुद्दों पर बातचीत के बाद कुछ कुछ शर्तों पर सचिन पायलट मानने को राजी हुए। 14 अगस्त 2020 को गहलोत बहुमत साबित करने में कामयाब रहे।