असम में गोमांस पर बैन, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ​किया ऐलान

असम सरकार ने राज्य में गोमांस पर बैन लगा दिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने घोषणा है कि राज्य के रेस्टोरेंट, होटल और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस (बीफ) नहीं बिकेगा। इसके साथ ही मंत्री पीयूष हजारिका ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।

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Vikram Jain
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CM Himanta Biswa Sarma announces beef ban in Assam
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दिसपुर. असम में गोमांस यानी बीफ (beef) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इसकी जानकारी दी। सीएम ने कहा, राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है, जिसके तहत अब होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस प्रतिबंधित रहेगा। असम के जल संसाधन मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, कांग्रेस चाहे तो इस फैसले का स्वागत करे, नहीं तो पाकिस्तान चली जाए।

दरअसल, असम में गोमांस का विवाद लंबे समय से है। मामला तब ज्यादा चर्चा में आया था, जब कांग्रेस नेता और सांसद रकीबुल हुसैन ने सामगुरी उपचुनाव के दौरान बीजेपी पर गोमांस बांटने का आरोप लगाया था। इस आरोप ने असम की राजनीति को गरमा दिया।

सीएम ने दिया चैलेंज

सामगुरी विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव हुए थे, जिनके नतीजे 23 नवंबर को आए। कांग्रेस नेता रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने सामगुरी सीट पर गोमांस का उपयोग चुनाव जीतने के लिए किया।

इस पर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कड़ा रुख अपनाते हुए कांग्रेस को चुनौती दी। उन्होंने कहा, मैं जानना चाहता हूं कि क्या सामगुरी जैसी सीट केवल गोमांस बांटकर जीती जा सकती है? क्या कांग्रेस को मतदाताओं का समर्थन केवल गोमांस पर निर्भर है?, उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस लिखित में दे कि गोमांस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए तो उनकी सरकार इसे लागू करने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे जोड़ा, हम सबको, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो या ईसाई गोमांस खाना छोड़ देना चाहिए।

असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021

गौरतलब है कि असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 पहले से राज्य में गोमांस की बिक्री और खपत पर कुछ सख्त नियम लागू करता है। इस कानून के मुताबिक हिंदू, जैन, सिख बहुल इलाकों में मवेशी वध और गोमांस बिक्री पर प्रतिबंध है। किसी मंदिर या वैष्णव मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में गोमांस की बिक्री गैरकानूनी है।

क्या हैं राजनीतिक मायने?

इस फैसले के पीछे बीजेपी की रणनीति बहुसंख्यक हिंदू मतदाताओं को मजबूत संदेश देना है। बीजेपी ने इससे पहले हिंदू, जैन और सिख समुदायों के धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। इस फैसले से असम की धार्मिक और सामाजिक संरचना पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

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