अयोध्या में 23 अप्रैल को भगवान रामलला का जलाभिषेक सीएम योगी करेंगे, चीन और पाकिस्तान समेत 156 देशों से लाया गया जल

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BP Shrivastava
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अयोध्या में 23 अप्रैल को भगवान रामलला का जलाभिषेक सीएम योगी करेंगे, चीन और पाकिस्तान समेत 156 देशों से लाया गया जल

AYODHYA. अयोध्या नगरी में भगवान रामलला के मंदिर का निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। 1 जनवरी 2024 तक बनकर तैयार होना है यानी एक साल से भी कम समय में मंदिर बन जाएगा। इसी कड़ी में श्रीराम जन्मभूमि का भव्य जलाभिषेक होना है। इसके लिए भारत समेत दुनिया के 156 देशों की नदियों और समुद्र से जल लाया जा चुका है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ 23 अप्रैल को रामलला का जलाभिषेक करेंगे। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे।



पिछले तीन साल से लाया जा रहा जल



बता दें कि 156 देशों से जल लाने का काम पिछले 3 साल पहले यानी साल 2020 में ही शुरू कर दिया गया था। इसकी जिम्मेदारी दिल्ली के पूर्व बीजेपी विधायक विजय जॉली ने संभाली थी।अब जब दुनियाभर के 156 देशों का जल इकट्ठा हो गया है तो अब रामजन्म भूमि का जलाभिषेक किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ  23 अप्रैल को मनीराम दास छावनी सभागार में 'जल कलश' की पूजा करेंगे।



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पाक की इस नदी का जल दुबई के रास्ते लाया गया



बीजेपी नेताजॉली ने बताया कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान  की पवित्र नदियों में से एक रावी नदी का जल भी इसमें शामिल है। हालांकि, पाकिस्तान से जल लाना आसान नहीं था, लेकिन फिर दुबई के रास्ते इस जल को भारत लाया गया। एक साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हालात कुछ अच्छे नहीं हैं, लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि के जलाभिषेक के लिए दोनों देशों ने मदद की और दोनों ही देशों से जल लाया गया। अब रामलला का इस जल से अभिषेक किया जाएगा।



विदेशों के भी राजनयिक और आध्यात्मिक गुरु होंगे शामिल



जलाभिषेक कार्यक्रम में सिर्फ पाकिस्तान और रूस ही नहीं, बल्कि फ्रांस, जर्मनी, जॉर्जिया, स्विट्जरलैंड, इटली, इराक, कनाडा, चीन, भूटान, अफगानिस्तान, ब्राजील, डेनमार्क जैसे कुल मिलाकर 156 देशों का जल शामिल है। जलाभिषेक कार्यक्रम में देश ही नहीं। विदेशों के भी राजनयिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं के साथ गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया है।



राम मंदिर में होंगी दो मूर्तियां



भगवान रामलला के मंदिर में दो मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। एक चल मूर्ति यानी जो विशेष अवसरों पर मंदिर के बाहर भी निकाली जाएंगी। ऐसी सनातन धर्म की परंपरा है। और दूसरी स्थाई मूर्ति जो मंदिर में स्थाई तौर पर स्थापित रहेंगी। वर्तमान मूर्ति चल मूर्ति के तौर पर भगवान रामलला के नए मंदिर में विराजमान होगी। इसके अलावा स्थाई मूर्ति के तौर पर भगवान रामलला की आसमानी ग्रे कलर की 5 वर्ष के बालक के आकार में लगभग साढ़े 8 फीट ऊंची लगाई जाएगी। साढ़े 8 फीट ऊंची इसलिए क्योंकि बहुप्रतीक्षित मंदिर में रामनवमी के दिन भगवान रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरण का अभिषेक हो। ऐसी वैज्ञानिकों ने रूपरेखा तय की है। इसके लिए साढ़े आठ फीट की ऊंचाई होना अनिवार्य है।


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