देश में साल भर में कोचिंग का धंधा ( coaching business ) कितना है? आप आंकड़े सुनकर चौंक जाएंगे। देश में कोचिंग का वर्तमान सालाना कारोबार 30 हजार 653 करोड़ रुपए है। इस कारोबार से केंद्र और राज्य सरकारों को जीएसटी के तौर पर 5517 करोड़ रुपए मिलता है। यह वित्त वर्ष 2024 में उच्च शिक्षा के लिए केंद्रीय बजट के आवंटन के लगभग दो-तिहाई के बराबर है। यह खुलासा पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा में हुए एक सवाल के जवाब की जानकारी X पर डालकर किया है।
पांच साल में इतना बढ़ गया धंधा
पांच साल पहले साल 2019-20 में कोचिंग का धंधा करीब 12 हजार करोड़ रुपए का था और इस पर केंद्र सरकार को 2241 करोड़ रुपए का जीएसटी मिला था। इसके बाद अब 2024 में सरकार को 5517 करोड़ का जीएसटी मिला और यह धंधा 30 हजार 653 करोड़ रुपए का हो गया।
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जयराम रमेश ने यह कहा
उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कोचिंग संस्थानों से GST संग्रह 2019-2024 के बीच तेज़ी से बढ़कर 2,241 करोड़ रुपए से 5,517 करोड़ रुपए हो गया है। यह GST संग्रह में आश्चर्यजनक रूप से 146% की वृद्धि दर्शाता है। इसमें कुछ भूमिका बेहतर… pic.twitter.com/TUHFER9lYD
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 3, 2024
रमेश ने अपने सोशल एकाउंट पर लिखा कि उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कोचिंग संस्थानों से GST संग्रह 2019-2024 के बीच तेजी से बढ़कर 2,241 करोड़ रुपए से 5,517 करोड़ रुपए हो गया है। यह GST संग्रह में आश्चर्यजनक रूप से 146% की वृद्धि दर्शाता है। इसमें कुछ भूमिका बेहतर प्रवर्तन की हो सकती है, लेकिन ऐसा संभवतः बढ़ते बाजार के आकार से भी हुआ है।
यह चिंताजनक आंकड़ा
रमेश ने कहा कि चिंता की बात यह है कि वित्त वर्ष 24 में 18% की दर से 5,517 करोड़ रुपए का GST संग्रह सालाना 30,653 करोड़ रुपए का कोचिंग मार्केट बता रहा है। यह बेहद चिंताजनक आंकड़ा है, क्योंकि यह वित्त वर्ष 2024 में उच्च शिक्षा के लिए केंद्रीय बजट के आवंटन के लगभग दो-तिहाई के बराबर है।
इन्होंने किया था सवाल
यह सवाल केरल की सांसद जेबी माथेर हिसाम ने किया था। जिस पर सवाल केंद्रीय राज्यमंत्री सुकांता मजूमदार ने दिया। इस जवाब के आने के बाद चिंता बढ़ रही है कि कोचिंग पर छात्र कितने निर्भर होते जा रहे हैं। यह आंकड़ा भी औपचारिक है। यानी देश में कई कोचिंग, संस्थान बिना जीएसटी चुकाए चल रहे हैं, उनका तो हिसाब ही नहीं है। भारत को कोचिंग संस्थानों की इस तेजी से बढ़ती संख्या के लिए एक व्यापक नीतिगत समाधान की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम को संशोधित किए जाने की आवश्यकता है और स्कूल पाठ्यक्रम के अनुरूप लाया जाना चाहिए, सभी परीक्षार्थियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है और शिक्षा की गुणवत्ता में निवेश किया जाना चाहिए।