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भारत की बहादुर बेटियां आज सिर्फ बंदूक नहीं थाम रहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर देश की आवाज भी बुलंद कर रही हैं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर (Operation sindoor) के तहत भारत द्वारा पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के नौ ठिकानों को मिसाइल से तबाह करने की कार्रवाई के बाद, प्रेस ब्रीफिंग में जो दृश्य सामने आया, वह भारतीय सेनाओं में महिलाओं की दमदार भागीदारी का प्रतीक बन गया।
इस महत्वपूर्ण संवाद के लिए थल सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना गया, जिनके साथ विदेश सचिव विक्रम मिस्री भी मौजूद थे।
रात 1.05 से 1.30 के बीच चला मिशन
भारत ने यह सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के खिलाफ की, जो हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार माने जा रहे थे। यह हमला भारतीय समयानुसार रात 1.05 से 1.30 बजे के बीच किया गया। ऑपरेशन की सफलता के तुरंत बाद मीडिया को इस मिशन की जानकारी देने के लिए भारतीय सेना की महिला अधिकारी आगे आईं, जिसमें सबसे प्रमुख नाम कर्नल सोफिया कुरैशी का रहा।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो वर्तमान में 35 वर्ष की हैं, मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है, जिससे उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और सैन्य प्रशिक्षण का बेहतरीन समन्वय झलकता है। उनके पति, मेजर ताजुद्दीन कुरैशी, भी सेना में कार्यरत हैं और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री से जुड़े हैं।
साल 1999 में मिला कमीशन
सोफिया कुरैशी को यह गौरव प्राप्त है कि वे 'एक्सरसाइज फोर्स 18' जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की अगुवाई करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। इसके अलावा, वर्ष 2006 में उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उल्लेखनीय है कि उन्होंने महज 17 वर्ष की उम्र में, वर्ष 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए भारतीय सेना की सेवा में प्रवेश किया था।
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विश्व मंच पर भारत की प्रतिनिधि बनीं सोफिया
मार्च 2016 में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारत की तरफ से 40 सदस्यीय सैन्य दल की कमान संभाली थी। यह दल 'एक्सरसाइज फोर्स 18' में शामिल हुआ था, जो अब तक का भारत में आयोजित सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास माना जाता है। यह अभ्यास पुणे में हुआ था, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कुल 18 आसियान प्लस देशों ने भाग लिया था।
इस बहुराष्ट्रीय सैन्य ड्रिल में लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उन्होंने सैनिकों को शांति अभियानों और मानवीय सहायता से जुड़े अभियानों के तहत बारूदी सुरंग हटाने जैसी जटिल प्रक्रियाओं की विशेष ट्रेनिंग दी
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