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भारत में किसी व्यक्ति से उसका धर्म पूछना अपने आप में कोई अपराध नहीं है। लेकिन यदि इस सवाल का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना, भेदभाव करना या नफरत और हिंसा फैलाना हो, तो यह भारतीय कानून के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। आतंकवादियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और फिर उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इस कायराना हमले से पूरे देश में गुस्सा है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर कोई आपसे आपका धर्म पूछता है, खासकर नफरत या हिंसा फैलाने की नीयत से, तो क्या आप इसकी शिकायत कर सकते हैं? और यदि हां, तो इसकी प्रक्रिया क्या है और दोषियों को क्या सजा मिल सकती है?
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धार्मिक पहचान उजागर कर नुकसान पहुंचाना गलत
सामान्य परिस्थितियों में किसी का धर्म पूछना अपराध नहीं है। लेकिन अगर सवाल पूछने का इरादा भेदभाव, हिंसा, या धार्मिक नफरत फैलाना है, या किसी को धर्म के आधार पर धमकाया जा रहा है, या फिर उनकी धार्मिक पहचान उजागर कर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तो यह कृत्य भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध बन सकता है।
लगेगी ये धाराएं, ये मिलेगी सजा
धारा 153 - धर्म, जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर वैमनस्य फैलाने के लिए तीन वर्ष की सजा के साथ ही कैद और जुर्माना।
धारा 295 - जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी धर्म या धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के लिए तीन 3 वर्ष की कैद और जुर्माना।
धारा 505(2) - धार्मिक या नस्लीय समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने वाला बयान देने वालों को कैद या जुर्माना।
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स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत
अगर पुलिस शिकायत लेने से मना करे, तो आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी डॉट एनआईसी डॉट इन) पर शिकायत दर्ज करा सकते है।
ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत कैसे दर्ज करें?
अगर राज्य स्तर पर शिकायत देने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती है, तो आप केंद्रीय लोक शिकायत पोर्टल (सीजीपीआएएएमएस) पर भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
इसका लिंक है https://pgportal.gov.in है।
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यहां शिकायत दर्ज करने के लिए आपको पहले वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। फिर, शिकायत से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी और साक्ष्य (सबूत) अपलोड करने होंगे। मानवाधिकार आयोग या राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में भी शिकायत की जा सकती है।
सबूत का होना जरुरी
यदि कोई आपसे धर्म पूछकर अपमान करता है या धमकाता है, तो शांत रहें और साक्ष्य (ऑडियो/वीडियो या गवाह) संभालें और फिर तुरंत कानूनी सहायता लें या नज़दीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें।
जब पुलिस के पास न हो सुनवाई
अगर थाना स्तर पर पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं कर रही है, तो घबराएं नहीं। ऐसे मामलों में आप संबंधित क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जैसे कि एसपी (पुलिस अधीक्षक) या डीसीपी (उप पुलिस आयुक्त) से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, कई राज्यों ने शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी हैं।
दिल्ली (https://delhipolice.gov.in)
उत्तरप्रदेश (https://uppolice.gov.in)
मध्यप्रदेश (https://mppolice.gov.in)
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पुलिस या राज्य सरकार के पोर्टल पर शिकायत
यदि आपने पुलिस या राज्य सरकार के पोर्टल पर शिकायत की है लेकिन उचित कार्रवाई नहीं हो रही है, तो आप निम्नलिखित संस्थानों में भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं-
राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार :-
आप ऑनलाइन फॉर्म भरकर या डाक के माध्यम से अपनी शिकायत भेज सकते हैं।
राज्य और राष्ट्रीय आयोग
यदि किसी महिला को उसके धर्म के आधार पर परेशान किया गया है, तो वह इन आयोगों में शिकायत दर्ज करा सकती है।
अल्पसंख्यक आयोग :-
यदि पीड़ित व्यक्ति किसी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है, तो वह यहां शिकायत दर्ज कर सकता है।
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मिल सकती है सात साल की सजा
अगर किसी का धर्म या जाति पूछने का उद्देश्य नफरत फैलाना है, तो बीएनएस की धारा 196 के तहत तीन से पांच साल तक की सजा हो सकती है। यदि धर्म पूछने का मकसद अपमान करना है, तो बीएनएस की धारा 197 के तहत तीन साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है। यदि कोई धर्म पूछकर आपको धमकाता है, तो बीएनएस की धारा 51(2) के तहत सात साल तक की सजा मिल सकती है। अगर धर्म पूछने के बहाने किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जाती है, तो ऐसे मामलों में तीन साल तक की सजा हो सकती है। खास बात यह है कि इन मामलों में जमानत नहीं मिलती, हालांकि कोर्ट अपने विवेक से जमानत देने का फैसला कर सकती है।