New Dehli. संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस दौरान 12 दिसंबर को कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। उन्होंने बिल में इलेक्शन कमीशन की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को लेकर बात रखी। इसमें एक हाई लेवल कमेटी बनाने की मांग की गई है, जो प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विपक्ष के नेता, चीफ जस्टिस मिलकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगी। बिल में चुनाव आयोग को और भी ज्यादा पॉवर देने की बात कही गई है, जिससे चुनाव आयोग रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टीज को भी रेग्युलेट, मॉनीटर कर सकें। तिवारी ने कहा कि पॉलिटिकल पार्टीज के इंटरनल इलेक्शन में भी चुनाव आयोग का दखल होना चाहिए।
इसी साल जून में अपने एक आर्टिकल में तिवारी ने कहा था कि अब समय आ गया है जब कि चुनाव आयोग को देश की राजनीतिक पार्टियों के अंदर भी लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इसके लिए उन्हें एक्सटर्नल मॉनीटर अपॉइंट करने के साथ इनोवेटिव मैकेनिज्म लागू करने चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहले से चल रही है सुनवाई
यह बिल तब पेश किया गया है जब कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई हो रही है। याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया में बदलाव की मांग की गई है।
ये खबर भी पढ़ें...
इस स्थिति में पार्टी की मान्यता वापस ले सकता है चुनाव आयोग
यदि कोई रजिस्टर्ड राजनीतिक दल अपने आंतरिक कार्यों के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई सलाह, अवधि और निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है तो ऐसे राजनीतिक दल की राज्य या राष्ट्रीय के रूप में मान्यता चुनाव आयोग द्वारा वापस ली जा सकती है।