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भारतीय सेना के प्रमुख के कमरे से 1971 के युद्ध की प्रतीक तस्वीर को हटाकर मानेकशॉ सेंटर में लगाने के फैसले ने विवाद पैदा कर दिया है। इस कदम को लेकर सेना और विपक्ष दोनों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
सेना का पक्ष
सेना के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 1971 की हार की तस्वीर अब मानेकशॉ सेंटर में लगाई जाएगी। यह सेंटर, सैम मानेकशॉ के नाम पर है, जो 1971 के युद्ध के प्रमुख नायक थे। सेना का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य इस ऐतिहासिक क्षण को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है, ताकि लोग भारतीय सेना की शौर्य गाथाओं से परिचित हो सकें।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह महत्वपूर्ण तस्वीर हटाना भारतीय सेना की गौरवपूर्ण धरोहर को कमजोर करने जैसा हो सकता है। उनका यह भी कहना है कि यह कदम इतिहास से मुंह मोड़ने जैसा प्रतीत हो रहा है।
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सेना का जवाब
सेना का यह भी कहना है कि मानेकशॉ सेंटर में इस तस्वीर को लगाने से इसे एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाने का मौका मिलेगा। इस सेंटर में आने वाले लोग भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान के बारे में अधिक जान सकेंगे।
Interaction with #Veterans#GeneralUpendraDwivedi, #COAS, in a series of interactions, engaged in fruitful interactions with senior #Veteran strategic community on contours of future warfare. Their insights based on strategic experiences and contemporary knowledge fostered a… pic.twitter.com/A4NXz95lMa
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) December 13, 2024
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विजय दिवस पर लिया गया था फैसला
यह निर्णय विजय दिवस के मौके पर लिया गया था, ताकि सैम मानेकशॉ के योगदान को और अधिक सम्मान मिल सके। सेना का कहना है कि इस फैसले से लोग 1971 के युद्ध के महत्व को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
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