NEW DELHI. 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को कड़ी टक्कर देने के लिए 26 विपक्षी दल एक मंच पर आ चुके हैं। इन दलों ने अपने गठबंधन को I.N.D.I.A नाम दिया है। माना जा रहा है कि आगामी 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में बैठक कर इस पर फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, इस बीच दिल्ली में इस गठबंधन में दरार पड़ती नजर आ रही है। कारण, कांग्रेस ने राजधानी की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
कांग्रेस बैठक में आप या गठबंधन की कोई चर्चा नहीं हुई
दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व की हुई एक बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल समेत अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। बैठक के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने स्पष्ट कहा कि ये फैसला किया गया है कि उनकी पार्टी दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उनका अपना रास्ता है और बैठक में आम आदमी पार्टी या फिर गठबंधन की कोई चर्चा नहीं हुई। दिल्ली में तीन मुख्य पार्टियां हैं आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी। लोकसभा चुनाव को लेकर एकसाथ आईं विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी शामिल है। ऐसे में कांग्रेस का दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला गठबंधन के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
अरविंद केजरीवाल 2025 में सीएम नहीं होंगेः अनिल चौधरी
#WATCH | Congress leader Alka Lamba says "In the three-hour long meeting, Rahul Gandhi, Kharge ji, KC Venugopal and Deepak Babaria ji were present. We have been asked to prepare for the upcoming Lok Sabha elections. It has been decided that we will contest on all 7 seats. Seven… pic.twitter.com/TKaHAIl2yW
— ANI (@ANI) August 16, 2023
कांग्रेस नेता अनिल चौधरी ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस पार्टी संगठन को मजबूत करके एकजुट होकर लड़ेगी। हमने किसी से कोई चर्चा नहीं की है हमारा अपना रास्ता है। हमने पोल खोल यात्रा से लेकर कोशिश की है कि केजरीवाल सरकार की नीतियों को एक्सपोज करें। शराब घोटाले से लेकर तमाम कार्रवाई हम लोगों की शिकायतों पर हुई है। 2024 में हम चुनाव जीतेंगे और 2025 में अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम नहीं होंगे, हमारी पूरी कोशिश रहेगी। वहीं कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि 3 घंटे तक चली बैठक में राहुल गांधी, खड़गे जी, केसी वेणुगोपाल और दीपक बाबरिया जी मौजूद थे। यह निर्णय लिया गया है कि हम सभी 7 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। सात महीने बचे हैं और सभी कार्यकर्ताओं को सभी सात सीटों के लिए तैयारी करने के लिए कहा गया है।
सभी पार्टियों का राष्ट्रीय नेतृत्व इस पर चर्चा करेगाः भारद्वाज
#WATCH | AAP Minister Saurabh Bhardwaj on Congress to contest on all 7 Lok Sabha seats in Delhi and possible alliance with Congress
"...Our central leadership will decide this...Our political affairs committee and INDIA parties will sit together and discuss this (poll alliance)" pic.twitter.com/FjH7VuXPFV
— ANI (@ANI) August 16, 2023
वहीं कांग्रेस की बैठक को लेकर आम आदमी पार्टी का भी बयान आया है। दिल्ली के मंत्री और आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्त सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब 'INDIA' के सभी दल बैठेंगे और सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे। सभी पार्टियों का राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने बैठकर इस पर चर्चा करेगा। तभी पता चलेगा कि कौन सी पार्टी को कौन सी सीटें मिलती हैं। यह तो बहुत आगे की बात है। सौरभ ने अलका लांबा और अनिल चौधरी पर पलटवार करते हुए कहा कि ये बहुत छोटे-छोटे नेता हैं। इनकी जमानत भी नहीं बची। दोनों की ही जमानत कहां बची, दोनों के वोट मिला लें, तो भी वे नहीं जीतेंगे।
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I.N.D.I.A की बैठक में नहीं शामिल होगी AAP?
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिल्ली की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बयान पर आम आदमी पार्टी विचार बदल सकती है। कारण, आप के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष का बयान मीडिया में देखा है। अगर कांग्रेस ने दिल्ली में चुनाव अकेले लड़ने का फैसला कर लिया है तो INDIA गठबंधन की मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं। हालांकि, अंतिम फैसला पार्टी की टॉप लीडरशिप लेगी।
'घमंडिया गठबंधन' की तरफ से ये अभी पहला रुझानः धर्मेंद्र प्रधान
इधर बीजेपी ने विपक्षी दलों के गठबंधन पर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया पर लिखा, अब कांग्रेस दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है। साफ है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस के पैरों से दरी खींच ली है। 'घमंडिया गठबंधन' की तरफ से ये अभी पहला रुझान है। आगे कांग्रेस को यूपी में सपा, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, बिहार में RJD-JDU के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलेगा। कांग्रेस को या तो अकेले चुनाव लड़ना होगा या फिर किसी गठबंधन में तीसरे दर्जे की पार्टी रहकर पूरे देश में 100 सीट भी लड़ने को मिल पाना मुश्किल है। साफ है कि 'घमंडिया गठबंधन' केवल सदन में गतिरोध पैदा कर कामकाज रोकने की गलत नीयत व दिखावे के लिए बना था। यह गठबंधन ही 2024 तक नहीं टिकेगा।