NEW DELHI. दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर हादसे में 3 स्टूडेंट्स की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। हादसे के बाद से दिल्ली के कई इलाकों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। मामले में एमसीडी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कई अवैध और बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों को सील कर दिया है। इसके साथ ही मशहूर शिक्षक और दृष्टि आईएएस के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग भी बंद कर दी गई है।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने तोड़ी चुप्पी
इन सब के बीच डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की मामले में चुप्पी को लेकर स्टूडेंट्स उन्हें जमकर ट्रोल कर रहे थे। अब मामले में दृष्टि आईएएस की तरफ से डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का बयान सामने आया है। घटना के कुछ दिनों बाद अब दृष्टि आईएएस की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है।
हादसे पर जताया खेद, देरी के लिए मांगी माफी
दृष्टि आईएएस की तरफ से कहा गया कि राजेंद्र नगर में हुई त्रासद घटना पर हम अपना पक्ष देरी से रख रहे हैं इसके लिए हमें खेद हैं, दिव्यकीर्ति ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि अधूरी जानकारी के आधार पर हम कुछ कहें, इस देरी के लिए हम क्षमा मांगते हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि 27 जुलाई को जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसमें 3 विद्यार्थियों की मौत हो गई, उनके प्रति हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम तीनों बच्चों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को इस क्षति झेलने का हौसला मिले।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने आगे क्या कहा, जानिए प्वाइंट्स में
हादसे में जिन बच्चों की जान गई उनके परिजनों से हमारा प्रत्यक्ष परिचय नहीं हुआ है, लेकिन दुख की इस घड़ी में हम पूरी तरह उनके साथ हैं, अगर हम किसी भी तरह उनके लिये कुछ कर सकेंगे तो कृतज्ञता महसूस करेंगे।
इस दुर्घटना को लेकर विद्यार्थियों में जो रोष दिख रहा है, वह पूरी तरह न्यायसंगत है, बहुत अच्छा होगा यदि इस रोष को सटीक दिशा मिले और सरकार कोचिंग संस्थाओं के लिए निश्चित दिशानिर्देश लागू करे। इस संबंध में हम सरकार के साथ सक्रिय सहयोग करने को तत्पर हैं।
कोचिंग संस्थानों से जुड़ी यह समस्या ऊपर से जितनी सरल दिखती है, उतनी है नहीं, इसके कई पक्ष हैं जिनके तार कानूनों की अस्पष्टता और अंतर्विरोध से जुड़ते हैं। डीडीए, एमसीडी और दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के नियमों में असंगति है। इसी तरह, 'दिल्ली मास्टरप्लान-2021', 'नैश्नल बिल्डिंग कोड', 'दिल्ली फायर रूल्स' और 'यूनिफाइड बिल्डिंग बाई-लॉज़' के प्रावधानों में भी काफी अंतर्विरोध है।
'दिल्ली मास्टरप्लान-2021' को छोड़कर किसी भी दस्तावेज में कोचिंग संस्थानों के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं दिए गए हैं, आशा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त समिति जब एक माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी तो उसमें ऊपर लिखे अधिकांश बिंदुओं का समाधान मिल सकेगा।
हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि टीम दृष्टि विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्क रहती है। वर्तमान में हमारी मैनेजमेंट में 'फायर एन्ड सेफ्टी ऑफिसर' का विशेष पद है जिस पर कार्यरत अधिकारी नेशनल फायर सर्विस कॉलेज (नागपुर) से पढ़े हुए हैं और बड़े अस्पतालों और मॉल्स में 14 वर्षों तक यही कार्य कर चुके हैं। वे प्रत्येक भवन का नियमित रूप से सेफ्टी ऑडिट करते हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रत्येक भवन के लिये एक-एक अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह हर दिन सुरक्षा के 16 बिंदुओं को चेक करे और इसकी सूचना 'बिल्डिंग मेंटेनेंस ग्रुप' पर अपडेट करे। हमारे क्लासरूम जिन भी भवनों में हैं, उनमें आने-जाने के लिये कम से कम दो रास्ते हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में बच्चे सुरक्षित निकल सकें।
दिल्ली नगर निगम द्वारा पिछले कुछ दिनों में की गई व्यापक कार्रवाई स्वागतयोग्य है।
इस समस्या का स्थाई समाधान यह है कि सरकार दिल्ली में तीन-चार क्षेत्रों को चुनकर उन्हें कोचिंग संस्थानों के लिये नियत करे। अगर सरकार क्लासरूम्स, लाइब्रेरीज, होस्टल खुद तैयार कराएगी तो न ज्यादा किराए की समस्या रहेगी और न ही सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों की।
इस विषय की जटिलताओं को स्पष्ट करने के लिए हम जल्दी ही एक विस्तृत विश्लेषण (लेख या वीडियो) जारी करेंगे ताकि सभी विद्यार्थियों व अन्य हितधारकों को भी सभी पक्षों का अनुमान हो सके। हमें विश्वास है कि जब सारे पक्ष सामने होंगे, तब समाधान की सही राह निकलेगी।
एक बार फिर, अगर जाने-अनजाने में हमारी टीम से कोई चूक हुई है तो हम उसके लिये पुनः खेद व्यक्त करते हैं। अब हम विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर और ज्यादा सतर्क रहने का भरोसा दिलाते हैं।
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