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New Delhi. दिल्ली में आम आदमी पार्टी जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ रही है। केंद्र सरकार दिल्ली के उस पोस्टिंग-ट्रांसफर विधेयक को आज लोकसभा में पेश करने जा रही है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ने इसका विरोध करने का ऐलान कर रखा है। बता दें कि 25 जुलाई को इस अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। पहले ऐसा माना जा रहा था कि इसे 31 जुलाई को पेश किया जाएगा, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री ने कहा था कि जब दिल्ली अध्यादेश बिल लगेगा, तब जानकारी दे दी जाएगी।
19 मई को सरकार लाई थी अध्यादेश
बता दें कि 19 मई को केंद्र सरकार ने अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना संबंधी अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के 11 मई को दिए गए उस फैसले को पलटा गया था जिसमें तबादलों और पदस्थापना का अधिकार दिल्ली सरकार को देने का फैसला सुनाया गया था।
अध्यादेश के खिलाफ भी SC पहुंची थी दिल्ली सरकार
उक्त अध्यादेश के जरिए केंद्र ने दिल्ली में तबादलों और पदस्थापना के अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए थे। दिल्ली सरकार ने इसके खिलाफ शीर्ष कोर्ट की शरण ली थी। 17 जुलाई को ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को भेजने की इच्छा है। उसके बाद संविधान पीठ यह तय करेगा कि क्या केंद्र इस तरह के संशोधन कर सकता है या नहीं।
क्या है पूरा विवाद?
दरअसल दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई साल 2015 से जारी है। साल 2016 में हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल के पक्ष में फैसला सुना दिया था। आम आदमी पार्टी की सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 5 जजों की संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा था कि सीएम ही दिल्ली के एग्जीक्यूटिव हेड हैं। उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सलाह के बगैर स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते हैं।