रांची. देवघर रोपवे हादसे में एक और महिला की मौत हो गई। अब इस हादसे में मरने वालों की संख्या 3 हो गई है। इस बीच एक हैरान करने वाली बात सामने आई, जिसमें प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई। दरअसल, हादसे से तीन हफ्ते पहले ही सरकार समर्थित एक एजेंसी ने 1,770 मीटर लंबे इस रोपवे का सेफ्टी ऑडिट किया था। तब एजेंसी ने इसमें करीब 24 खामियां बताई थी।
कंपनी को बताई गईं थी कमियां
ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया था कि लोहे की रस्सी और उसके जोड़ों पर नजर रखने की जरूरत है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि रस्सी को साफ और जंग से सुरक्षित रखने की जरूरत है, क्योंकि रस्सी सात साल से ज्यादा पुरानी है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि अगर कोई असामान्यता नजर आती हैं, तो रस्सी को तुरंत बदला जा सकता है। हालांकि जिस वजह से हादसा हुआ उस संबंध में कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था।
इस रिपोर्ट को धनबाद स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च ने तैयार किया था। यह संस्था वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के तहत काम करती है। CIMFR पिछले चार सालों से रोपवे पर सुरक्षा ऑडिट कर रहा है। यह रिपोर्ट 17 मार्च को किए गए एक क्षेत्र के दौरे पर आधारित थी।
मेंटिनेंस पर दिया जाता है ध्यान
बता दें कि इस रोपवे को कोलकाता स्थित दामोदर रोपवे और इंफ्रा लिमिटेड कंपनी संचालित कर रही है। कंपनी के महाप्रबंधक (वाणिज्यिक) महेश मोहता का कहना है कि रखरखाव का काम दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है और यह घटना स्टील की रस्सी के फिसलने के कारण हुई है।