लखनऊ में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा बाबा बागेश्वर की कथा की फीस को लेकर एक दावा किया जिसके बाद हर तरफ इसकी चर्चा शुरू हो गई। अखिलेश यादव ने इसके साथ ही कहा कि क्या किसी की इतनी हैसियत है कि वो धीरेंद्र शास्त्री को अपने घर बुला सके। अखिलेश यादव के तंज के बाद अब धीरेंद्र शास्त्री को के समर्थकों और विरोधियों में नई बहस शुरू हो गई।
धीरेंद्र शास्त्री अंडर टेबल लेते हैं मोटी फीस
दरअसल इटावा की चोटी काटने वाली घटना से यह मामला शुरू हुआ। घटना को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने न सिर्फ सरकार को घेरा, बल्कि उन्होंने प्रसिद्ध कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) पर भी सवाल उठा दिए हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि कई कथावाचक हैं जो 50 लाख रुपए लेते हैं। किसी की हैसियत है कि धीरेंद्र शास्त्री को कथा के लिए अपने घर बुला ले। अंडर टेबल लेगा वो बाबा पैसे, आप पता करवा लीजिए। धीरेंद्र शास्त्री पैसे नहीं लेते हैं क्या? कथा बांचने की उनकी कितनी कीमत होगी?
ढोलक छीनना कलाकार की आत्मा छीनने जैसा है
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कुछ प्रभुत्ववादी लोग उस कलाकार को भी नहीं छोड़ते जो अपनी थाप से दुनिया देखता है। उन्होंने कहा कि ढोलक छीनकर आरोप लगाने वाले लोग अभारतीय (Un-Indian) और अमानवीय (Inhuman)" हैं।
ऐसे लोग अपने ही समाज की सहानुभूति (Sympathy) खो चुके हैं।
अगर ट्रंप को इटावा कांड का पता चल गया तो...
अखिलेश यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को इटावा की घटना पता चल जाए तो सोचिए क्या होगा। उन्होंने आगे कहा, “मैं संविधान को मानता हूं सरकार कहती है चार बजे जागते हैं, पर इटावा में पूरी रात कथावाचक अपमानित होते रहे। अखिलेश ने सवाल किया कि आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?\
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इटावा चोटी कांड क्या था
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में 21 जून को एक विवाद हुआ। कथा वाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत कुमार यादव के साथ बदसलूकी की गई। आरोप है कि कुछ ग्रामीणों ने उनका जबरन सिर मुंडवा दिया और अपमानित किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने गांव को 'अपवित्र' कर दिया है। घटना के विरोध में 26 जून को 'अहीर रेजिमेंट' और अन्य संगठनों ने गांव में प्रदर्शन किया।
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