जयपुर. 3 अक्टूबर को लंदन में होने वाली मैराथन में एकमात्र भारतीय धावक गोवर्धन मीणा का लंदन दूतावास ने वीजा जारी कर दिया। गोवर्धन का जयपुर से लंदन तक का सफर इतना भी आसान नहीं था। जमवारामगढ़ में रहने वाले गोवर्धन की बचपन से ही खेलों में काफी रूचि थी। लेकिन परिवारिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से गोवर्धन को कभी खेलने का मौका नहीं मिला। जिसके बाद से गोवर्धन ने दौड़ना शुरू किया। गोवर्धन की इस दौड़ ने उन्हें इतना आगे पहुंचाया कि अब वे लंदन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
परिवार के लिए मजदूरी भी की
1995 में राजस्थान पुलिस RAC की भर्ती निकली थी। जिसमें गोवर्धन पहली बार एक अभ्यर्थी के तौर पर दौड़े। 2400 मीटर की दौड़ को उन्होंने महज 8 मिनट में पूरा कर लिया था। इस दौड़ में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कम पढ़ा लिखा होने की वजह से उनका लिखित परीक्षा में चयन नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने एथलेटिक्स में जाने की कोशिश की। लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे किसी भी खेल में हिस्सा नहीं ले पाते। परिवार के भरण पोषण के लिए उन्होंने मजदूरी करना शुरू किया। जिसके चलते वे 10 साल तक मैदान से दूर हो गए।
सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं
2018 में गोवर्धन ने पहली बार इलाहाबाद मैराथन में पहला स्थान प्राप्त किया। जिसके बाद जयपुर से लेकर बड़ौदा तक होने वाली सारी मैराथन में वे पहले स्थान पर बनें रहे। इसके बाद उनहें लंदन मैराथन में जाने का मौका मिला। गोवर्धन ने बताया कि 2018 से अब तक वे कई प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं। उन्हें कई बार पुरस्कार भी मिले। लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से आज तक कोई मदद नहीं मिली है। उनके कुछ परिचितों ने ही मुझे आगे बढ़ने के लिए आर्थिक मदद की। जिसकी वजह से वे लंदन जा पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में एक ओर जहां खेलों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही है। वहीं मुझ जैसे व्यक्ति के लिए सरकार से लेकर प्रशासन तक कोई सोच भी नहीं रहा। जबकि लंदन मैराथन दुनिया की सबसे बड़ी मैराथन में से एक है। जिसमें शामिल होने वाला मैं भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र खिलाड़ी हूं।