मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया SC के फैसले का विरोध, कहा फैसला शरीयत से अलग

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला सुनाया गया था। फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले पर एतराज जताया है।

Advertisment
author-image
Ravi Singh
New Update
 Personal Law Board
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला सुनाया गया था। फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले पर एतराज जताया है। ससर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक दिल्ली में हुई। बैठक के बाद कमेटी का कहना है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला शरीयत से अलग है। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिक्कत पैदा करेगा

मुसलमान शरीयत से अलग नहीं सोच सकता है। हम शरीयत के पाबंद हैं। हमारे लिए इससे अलग सोचना गलत होगा। जब किसी शख्स का तलाक हो गया, तो फिर गुजारा भत्ता कैसे मुनासिब है। कमेटी ने कहा कि भारत का संविधान हमें हक देता है कि हम अपने धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं के हिसाब से रह सकते हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हम लोगों के हित में नहीं है। शादी-विवाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिक्कत पैदा करेगा।

 भरण-पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा-125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण-पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं।

ये खबर भी पढ़ें...

गोल्ड होगा सस्ता ! One Nation One Rate पॉलिसी होगी लागू

इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा-125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है। इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है। यह मामला अब्दुल समद नाम के व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। बीते दिनों तेलंगाना हाईकोर्ट ने अब्दुल समद को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।

thesootr links

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सर्वोच्च न्यायालय तलाकशुदा मुस्लिम महिला