पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता ( Kolkata ) में ट्रेनी डॉक्टर ( trainee doctor ) की रेप के बाद हत्या का मामला अब और गरमाता जा रहा रहा है। हालांकि घटना की पूरी जांच निष्पक्ष कराने के लिए इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है, लेकिन देशभर के डॉक्टर्स हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं है। डॉक्टर्स का कहना है कि उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक मेडिकल स्टाफ ( medical staff ) पर हमलों को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम ( Central Protection Act ) लागू नहीं हो जाता।
क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट ?
प्रदर्शन करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम ( सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट ) के रूप में लंबे समय से लंबित कानूनी ढांचे को तत्काल लागू करने की मांग करते हैं। इस एक्ट (ACT ) के लागू होने के बाद उच्च स्तर पर काम करने वाले लोगों की जवाबदेही तय हो जायगी। इस कानून के लागू होने के बाद किसी भी आरोपी की बिना वारंट गिरफ्तारी हो सकती है । इसके साथ 5 लाख रुपए तक जुर्माना और 5 साल तक सजा का प्रावधान है।
क्यों मांग रहे हैं डॉक्टर्स ये कानून ?
मेडिकल स्टाफ (medical staff ) को किसी हिंसा से बचाने के लिए केंद्रीय कानून (central law ) को लागू करने की मांग उठ रही है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे कानून को लागू किया जाना अनिवार्य है।
डॉक्टर्स के लिए क्या है central protection act ?
हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल प्रतिष्ठानों (Healthcare professionals and clinical establishments ) के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022 को डॉक्टर्स के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है।
प्रस्तावित कानून की वर्तमान स्थिति क्या है?
साल 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Dr. Mansukh Mandaviya ) ने राज्यसभा को सूचित किया था कि स्वास्थ्य सेवा कार्मिक (health care personnel ) और क्लीनिकल प्रतिष्ठान विधेयक, 2019 का मसौदा तैयार किया गया था और परामर्श के लिए भेजा गया था, लेकिन अलग से कानून बनाने का फैसला नहीं किया गया है।
अभी लागू है ये कानून
फिलहाल देशभर में अभी महामारी रोग (epidemic disease ) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 लागू है। इसको अप्रैल, 2020 को लाया गया था। इस कानून के तहत आरोपी को तीन महीने से पांच साल तक की कैद और 50 हजार रुपए से 2 लाख रुपए के बीच जुर्माने का प्रावधान है।
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