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भारत में हर साल NEET UG के जरिए एक लाख से अधिक डॉक्टर तैयार हो रहे हैं लेकिन फिर भी देश में डॉक्टरों की भारी कमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्टैंडर्ड्स के मुताबिक हर एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर की जरूरत है लेकिन भारत में यह रेश्यो बहुत कम है।
खासकर छोटे ग्रामिण इलाको की बात करें तो आज भी वहां डॉक्टरों की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि इसके बावजूद ऐसा माना जा रहा है कि 2030 तक देश को 20 लाख से अधिक नए डॉक्टरों की जरूरत हो सकती है।
हर साल 1 जुलाई को हम नेशनल डॉक्टर्स डे मनाते हैं। यह दिन डॉक्टरों के योगदान को सम्मानित करने के लिए होता है। तो आइए डॉक्टर्स डे के मौके पर हम समझें कि क्यों भारत को इतने अधिक डॉक्टरों की जरूरत है और इसका समाधान क्या हो सकता है।
नेशनल डॉक्टर्स डे का इतिहास
हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। यह दिन डॉक्टरों के योगदान को सम्मानित करने के लिए होता है। इसे 1991 में भारत सरकार ने शुरू किया था और यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय को याद करने के लिए मनाया जाता है।
डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध डॉक्टर और मुख्यमंत्री थे जिन्होंने भारत में मॉडर्न मेडिकल एजुकेशन लाने में मदद की थी। इस दिन का उद्देश्य डॉक्टरों की मेहनत की सराहना करना और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में जागरूकता बढ़ाना है।
2025 में इसकी थीम है "Behind the Mask: Who Heals the Healers?" इसका मतलब है कि डॉक्टर दूसरों की मदद करते हुए अक्सर अपनी सेहत की चिंता नहीं करते। इस दिन डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
भारत में डॉक्टरों की कमी
भारत में NEET UG के जरिए हर साल लगभग एक लाख डॉक्टर तैयार होते रहे हैं। इन डॉक्टरों को MBBS, BHMS, BAMS, BDS और अन्य मेडिकल डिग्रियों के तहत तैयार किया जाता है।
इसके बावजूद, यह संख्या देश की स्वास्थ्य जरूरतों के हिसाब से सफ्फिसिएंट नहीं है। खासकर तब जब भारत की जनसंख्या 2030 तक 1.476 बिलियन (147.6 करोड़) तक पहुंचने का अनुमान है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्टैंडर्ड्स के मुताबिक आज हर एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में यह स्टैंडर्ड्स 10 हजार लोगों पर 7 डॉक्टरों का है। यानी, भारत को 2030 तक WHO के स्टैंडर्ड्स के मुताबिक 20 लाख डॉक्टरों की जरूरत हो सकती है।
विभिन्न राज्यों में डॉक्टरों की कमी
मध्य प्रदेश (MP) की स्थिति
मध्य प्रदेश की स्थिति स्वास्थ्य क्षेत्र में चिंता का कारण बन चुकी है। राज्य में डॉक्टरों की कमी का आंकड़ा कई बार सामने आया। 2021 में, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 50% से भी कम डॉक्टर तैनात थे।
स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, राज्य में कुल 47 हजार से अधिक डॉक्टरों की जरूरत है जबकि वर्तमान में यहां सिर्फ 20 हजार डॉक्टर हैं। इसमें सबसे अधिक डॉक्टरों की कमी स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में देखी जाती है। खासकर आदिवासी क्षेत्रों में, जहां डॉक्टरों का अभाव है और लोग कई किलोमीटर दूर जाकर इलाज करवाते हैं।
छत्तीसगढ़ (CG) की स्थिति
छत्तीसगढ़ की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में डॉक्टरों की कमी 35% तक बताई गई। खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद कमजोर हैं।
राज्य में कुल 16 हजार डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल नौ हजार डॉक्टर कार्यरत हैं। यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि यहां के आदिवासी इलाकों में डॉक्टरों की स्थिति और भी खराब है।
यहां के लोगों का कहना है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरी सहायता कम मिल रही है, जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।
राजस्थान (Rajasthan) की स्थिति
राजस्थान में भी डॉक्टरों की कमी के आंकड़े गंभीर हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में डॉक्टरों की कमी 32% तक हो सकती है। 2020 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 50 हजार से ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि राज्य में केवल 33 हजार डॉक्टर हैं।
राजस्थान के दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की तैनाती की स्थिति और भी चिंताजनक है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों और सीमांत क्षेत्रों में, लोग अस्पतालों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करते हैं। ऐसे में अगर अस्पतालों में डॉक्टर उपलब्ध नहीं होंगे, तो मरीजों का इलाज कैसे होगा?
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डॉक्टरों की कमी का कारण
भारत में डॉक्टरों की कमी के कई कारण हैं। सबसे जरूरी कारण है, बढ़ती जनसंख्या और इसके साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं का न बढ़ना। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2030 तक 20 लाख डॉक्टरों की जरूरत होगी।
लेकिन चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के बावजूद, हम अभी भी पीछे हैं। इसके अतिरिक्त, बहुत से डॉक्टर उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं, जो देश में डॉक्टरों की कमी और भी बढ़ाता है। इसके अलावा, सरकार के तहत डॉक्टरों की तैनाती के लिए जरूरी प्रयासों की कमी भी एक कारण है।
हमें क्या करना चाहिए
- मेडिकल शिक्षा में सुधार: भारत में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। सरकार को शिक्षा नीति में बदलाव लाकर ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलने की जरूरत है।
- डॉक्टरों की तैनाती में सुधार: डॉक्टरों को विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में तैनात करने के लिए सरकार को प्रोत्साहन देने चाहिए।
- स्वास्थ्य बजट बढ़ाना: सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट को बढ़ाने की जरूरत है ताकि अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती की जा सके।
- डॉक्टरों को प्रोत्साहन देना: ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले डॉक्टरों को वित्तीय प्रोत्साहन और बेहतर सुविधाएं दी जानी चाहिए, ताकि वे इन इलाकों में काम करने के लिए प्रेरित हों।
- सार्वजनिक जागरूकता: स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि लोग अपनी सेहत को लेकर अधिक सजग हों और डॉक्टरों के प्रति सम्मान बढ़े।
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